3.2.12

नीलपुष्पी - यौवन का उपवन


अलसी है यौवन का उपवन   महकाये तन मन और जीवन 
रग रग में भरदे काम अगन दिल चाहे पिय से होय मिलन 

लगभग दो महीने पहले मुझे एक लड़की ने फोन किया था। वह एक मासूम सी भोली-भाली कलाकार थी जिसने नया-नया अन्तरजातीय प्रेम विवाह किया था। उसने मुझे शिकायत के रूप में बतलाया था कि उसका पति रोज लैंगिक संबन्ध बनाता चाहता है, जो उसे रुचिकर और आनंददायक नहीं लगता है। उसे लग रहा था जैसे उसके पति ने सिर्फ शारीरिक संबन्ध बनाने के लिए ही शादी की हो। उसे दाम्पत्य जीवन एक बोझ और मजबूरी लगने लगा था। मुझे लगा कि वह दुर्बल कामेच्छा की शिकार है इसलिए मैंने दोनों पति पत्नि को अलसी खाने की सलाह दी।


आज फिर उसका फिर फोन आया है और जो प्रतिक्रिया उसने दी है वह सचमुच किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। उसने बतलाया कि अब उसके जीवन में कोई परेशानी नहीं है, वह दाम्पत्य जीवन का पूरा आनन्द उठा रही है, वह बहुत खुश है, उसका पति उसे बहुत प्यार करता है, उसका बहुत ध्यान रखता है, यदि पहले घर आता है  तो वह तुरन्त उसे फोन करता है कि तुम कहां हो? जल्दी आ जाओ। जब मैंने उससे पूछा कि क्या आपकी कामेच्छा बढ़ी है? क्या संभोग के समय आप पर्याप्त गीलापन महसूस करती हो? क्या आपके पति का स्तंभन ज्यादा प्रबल हुआ है? क्या उनकी स्खलन अवधि बढ़ी है? क्या आप अब ज्यादा आनन्द की प्राप्ति करते है? मेरे सारे प्रश्नों के जवाब में उसने कहा कि सब कुछ पहले की अपेक्षा बहुत-बहुत बढ़िया है। उसने मुझे यह भी बतलाया कि अलसी खाने से उसका शरीर सुडौल बना है, मुहांसे दूर हो गये हैं, त्वचा में गोरापन और चमक आई है, स्तन बड़े और आकर्षक  हो गये हैं, उसका आत्मविश्वास बढ़ा है और सभी मित्र अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं। बस और ट्रेन में सभी उसे ही देखते रहते हैं। इसीलिए मैं आपसे हमेशा कहता हूँ कि सफल नारीत्व और मातृत्व की असली कुंजी अलसी ही है।  


इस कड़ी को चटका कर देखिये......
आज के कुंवर अलसी बाला की ही कामना करते हैं ??? http://flaxindia.blogspot.in/2011/10/blog-post_9178.html

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