26.2.12

हो गया..............एग्जाम फोबिया !


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परीक्षाएं निकट आते ही विद्यार्थी वर्ग सदैव से तनाव में आ जाता है .थोडा तनाव जायज भी क्योंकि यह अध्ययन  के प्रति हमें गंभीर बनाता है .माता-पिता की अपेक्षाएं ;गुरुजन की अपेक्षाएं और सबसे बढ़कर हमारी स्वयं की स्वयं से अपेक्षाएं .ऐसे में यदि विद्यार्थी ने साल भर पढाई में लापरवाही बरती हो तो वह बहुत अधिक तनाव में आ जाता है .फेसबुक -ट्विटर जैसी सोशल वेबसाइट्स ने भी विद्यार्थी वर्ग की एकाग्रता को भंग किया है .कभी कभी बहुत पढाई में लगे रहने वाले भी परीक्षा आते ही भ्रमित  से हो जाते है .उस पर यदि माता-पिता भी विद्यार्थी के परीक्षा में मिलने वाले नंबरों से अपनी प्रतिष्ठा को जोड़ ले तो विद्यार्थी गहरे अवसाद का शिकार हो जाता है .आज के मनोचिकित्सक इसे  ''एग्जाम  फोबिया  '' का नाम देते हैं .इससे बचने का सर्वोतम उपाय है -


*परीक्षा की बेहतर तैयारी 
*टाइम मनेजमेंट का कड़ाई से पालन 
*माता-पिता का सहयोगी व्यवहार 
*रिलेक्स रहना 


                                 ये गीत इन्ही भावों को प्रकट करता है -


[स्व -रचित  गीत मेरी आवाज़ में ]


   परीक्षा के मौसम में ये क्या हो गया ?
भूख मर गयी ;चैन खो गया ;
हो गया..हो गया ...एग्जाम फोबिया !


मम्मी  -पापा भेजते स्कूल जबरदस्ती ;
खोलते किताब हमको आती थी सुस्ती ;
साल भर तो की बैंड-बाजा-मस्ती;
कहलाना चाहते नहीं पर फिसड्डी ;
अच्छे नंबर लाने का प्रेशर हो गया .
हो गया..............एग्जाम फोबिया !




मैडम के कहने से हम न पढ़े ;
सर ने जो डाटा  तो उनसे चिढ़े ;
घर वालों से करते थे चीटिंग ;
कैफे पर जाकर करते थे चैटिंग ;
सारा टाइम फेसबुक-ट्विटर  पी गया .
हो गया .........एग्जाम फोबिया !


भैया सुनों अब हमारी सलाह 
साल अपना करना न यूँ ही तबाह ;
परीक्षा की करना बेहतर तैयारी ;
टाइम मैनेजमेंट  सदा रखना जारी ;
रिलेक्स होकर जिसने ये सब किया ;
हो गया हवा उसका सारा फोबिया 
हो गया हवा उसका सारा फोबिया .


                                        शुभकामनाओं के साथ 
                                              शिखा  कौशिक 
                         [vicharon ka chabootra ]










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