भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
14.2.12
तेरी याद
सूरज की पहली किरणें,
दे जाती हैं रोज तेरी याद।
चांद की शीतलता,
सहलाती है तेरी याद।
क्यूं रात को अक्सर आकर,
आंखें मेरी धो जाती हैं तेरी याद।
रोज सोचता हूं भूल जाऊं तुझे,
न भूलने की कसम दे जाती है तेरी याद।
रविकुमार बाबुल
1 comment:
mridula pradhan
14/2/12 2:00 PM
bahut sunder.
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bahut sunder.
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