27.2.12

सात वचनों का क्या आधार रहा ?

जबसे  तुमने  मुह  मोड़ा  है 
सूना  सा हर त्यौहार रहा
जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?

तुम्हरे संग सावन सावन  था
तुम्हरे संग फागुन था फागुन
जब से विरहन का रंग चढ़ा
भाए न अब कोई मौसम
जब तेरे प्रेम का रंग नहीं तो 
सिन्दूर का रंग उजाड़ रहा

जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
पूरी कविता पढने के लिए क्लिक करें

1 comment:

  1. तुम्हरे संग सावन सावन था
    तुम्हरे संग फागुन था फागुन
    जब से विरहन का रंग चढ़ा
    भाए न अब कोई मौसम
    जब तेरे प्रेम का रंग नहीं तो
    सिन्दूर का रंग उजाड़ रहा

    जब प्रेम की कसमे टूट गई तो
    सात वचनों का क्या आधार रहा ?
    बेहतरीन मार्मिक प्रसंग छूती रचना जीवन के जगत के .

    ReplyDelete