29.2.12

विश्वास


अगर मैं तुम्हारी हूं
तो मुझ पर विश्वास करो की
मैं सिर्फ तुम्हारी हूं
मैं कोई हवा नहीं हूं जो
किसी की भी सांस बनजाऊ।
न ही कोई उपन्यास हूं जो
हर किसी को लुभा जाऊं।
मैं सिर्फ और सिर्फ एक हूं
अगर में बेटी हूं तो सिर्फ अपने
मां बाप की
अगर में मां हूं तो सिर्फ अपने बच्चों की
और अगर में पत्नी हूं
तो सिर्फ अपने परमेश्वर की
अगर मुझ पर विश्वास करोगे तो मुझको पाओगे
नहीं तो मुझको इस संसार से खोता महसूस कर पाओगे।

5 comments:

  1. शानदार अभिव्यक्ति...एक भारतीय लड़की के मन का स्पष्ट चित्रण...

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  2. कहने का मतलब की विश्वास ही सबसे अहम है .... मेरे भी ब्लॉग पर आयें

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  3. अच्छा लिखा है।

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  4. tu shubhra nadee kee dhara see
    unmukt raho swachchhand raho ;
    main naheen chaahataa tu kewal
    meree najaron mein band raho .

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