अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
10.2.12
मेरे लिये
प्रिय,
बस एक बार सुलझा दो, पहेली मेरे जीवन की।
मेरे दिल की जमीं पर,
बो दो तुम कोई बीज।
उसका प्रस्फुटन होने से,
नहीं रोकूंगा कभी,
वह चाहे मुहब्बत हो या नफरत?
बस इन दोनों में से,
कुछ भी चुनों,
तुम मेरे लिये।
bahut sundar bhavabhivyakti..
ReplyDeletebahut sundar bhavabhivyakti..
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