आखिर खुदा कहाँ बसता हैं बस इसी बात का बन्दे को इल्म नहीं होता हाँ वो ये जरूर मानता हैं की खुदा कहीं न कहीं उसके आस पास मौजूद जरूर रहता हैं जो उसकी हर मुश्किल में उसे मुश्किलों से निजाद दिलाता हैं. ऐसे में हमारे कुछ शायरों का क्या कहना हैं आप ही सुनिए उनकी जुबानी....
सबसे पहले पेश हैं मिर्ज़ा ग़ालिब साहब की जुबानी उनकी शायरी...
जाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं..
वहीँ अल्लामा इकबाल साहब क्या कहते है ये रही उनकी शायरी...
मस्जिद खुदा का घर है, पीने की जगह नहीं,
काफिर के दिल में जा, वहां खुदा नहीं..
अब सुनिए अहमद फ़राज़ साहब की शायरी उनकी जुबानी...
काफिर के दिल से आया हूँ में यह देख कर,
खुदा मौजूद है वहां, पर उसे पता नहीं..
अब आप ही बताईये खुदा कहाँ मौजूद हैं....?
यूँ तो लोग भी कहते है और में भी मानता हूँ की खुदा हमारे दिल में बसता हैं. पर फिर भी इस बात पर उस वक़्त थोडा सा शक या डर कहूँ, होता हैं जब हम मुश्किलों में घिरे हो और अपने खुदा को को याद कर रहे हों. लेकिन अंत में सब कुछ फिर से ठीक हो जाता है और फिर हम उसी खुदा का धन्यवाद करते हैं.
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