बढ़ चलो ए जिंदगी
हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी
आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा.
गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर,
डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा.
आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा.
तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा.
संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.
जुड़ सकेंगे पंख उसमे आशा और विश्वास के ,
''शालिनी'' का नाम भी पहचान नयी पायेगा.
भारतीय हॉकी टीम के हौसले बुलंद करने में लगी शिखा कौशिक जी की एक शानदार प्रस्तुति को यहाँ आप सभी के सहयोग हेतु प्रस्तुत कर रही हूँ आशा है आप सभी का इस पुनीत कार्य में शिखा जी को अभूतपूर्व सहयोग अवश्य प्राप्त होगा.उनकी प्रस्तुति के लिए इस लिंक पर जाएँ-
हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल
शालिनी कौशिक
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