ऐसी उम्मीद तो नहीं की जाती] लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर कहते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में संस्कार नहीं होते वह हिंसा व नक्सलवाद की राह पर चले जाते हैं। भले ही जुबान लहक गई हो] लेकिन गुरू जी! ऊँचे मुकाम पर बैठे लोग भी सरकारी स्कूलों में ही पढ़े हैं। तख्ती] स्लेट] कलम] दवात] बस्ता भला कौन भूल सकता है। शिक्षा की असल बुनियाद तो सरकारी स्कूल ही रहे हैं। आगे भी रहेंगे। यूं भी देश में आज भी ऐसे गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या बहुत ज्यादा है जो अपने बच्चों को शिक्षा के बीहड़ में बेलगाम शिक्षा का व्यापार कर रहे प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते। हालांकि विवाद होने पर श्री श्री रविशंकर ने अपने बयान को सुधरे हुए अंदाज में पेश किया है। परेशानी यह है कि बाबा लोग अपने काम से भटककर राजनीति, बयानबाजी में ज्यादा रूचि ले रहे हैं। योग गुरू बाबा रामदेव ही बयानबाजी में कीर्तिमान स्थापित करते आये है, गुरू जी! आप रहने ही दें। कैमरों के सामने कहना, पलटना, फिर कहना, फिर पलटना लोगों की नजर में यह तमाशा सा रहता है। भक्तगण भी अपने गुरूओं को ताकते रह जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि श्री श्री रविशंकर मानसिक संतुलन खो चुके हैं। सिब्बल ने कहा, ‘मैंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है, मैं नक्सली नहीं हूं। श्री श्री का बयान सुनकर बेहद अफसोस हुआ। उनका कहना सही नहीं है।’
ReplyDeletebhut khub likha hai aapane aapki aawwaj me wah tej hai jo ek smarth blogger me honi chaiye अपने विचार यहां भी लिखें
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