कुर्सी बडी चीज है
बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी क्या मिली मानो प्रदेश कांग्रेस में भूचाल आ गया...राजनीती में कुर्सी बडी चीज है...ऐसे में कुर्सी की आस लगाए बैठे कांग्रेसियों से मानो उनका सब कुछ छीन लिया गया हो। कुर्सी के सबसे प्रबल दावेदार केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत औऱ उनके समर्थको विधायकों ने कुर्सी हाथ से निकलती देख बगावत कर दी। नतीजन देहरादून में शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ गिनती के ही विधायक पहुंचे...तो सरकार के भविष्य पर भी सवाल उठने लगे...हरीश रावत औऱ उनके समर्थकों के बगावती तेवरों को देख लगने लगा था कि कुर्सी की लडाई कांग्रेस को ले डूबेगी...लेकिन दिल्ली में आज के घटनाक्रम के बाद इसमें विराम लगता दिखाई दे रहा है। हरीश रावत आज संसद के बजट सत्र में नहीं पहुंचे...उनके समर्थक सांसद प्रदीप टम्टा भी संसद से नदारद रहे। माना जा रहा था कि हरीश रावत और उनके समर्थक विधायकों के बगावती तेवर औऱ उग्र हो सकते हैं...लेकिन दिल्ली में मौजूद कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो हरीश रावत ने आज अपने सरकारी निवास पर समर्थक विधायकों औऱ सांसद प्रदीप टम्टा के साथ चर्चा के बाद नरम रूख अपनाने का फैसला लिया है। सूत्रों की मानें तो हरीश रावत आलाकमान के सामने शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे कि आलाकमान ने उनको कुर्सी ना सौंप गलत फैसला लिया है...औऱ भविष्य़ में उनको नजरअंदाज किया गया तो कम से कम उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए भारी मुश्किलें खडी हो सकती हैं। हरीश रावत का ये भी कहना है कि बहुगुणा को सीएम बनाने से पहले आलाकमान ने उनसे कोई चर्चा नहीं की...जब्कि वे 40 सालों से उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हैं। बहरहाल हरीश रावत पार्टी को अपनी शक्ति दिखाना चाहते थे...जो उन्होंने दिखा भी दिया...ऐसे में हरीश रावत के तेवर नरम पडने के बाद बहुगुणा के लिए ये जरूर राहत भरी खबर है...वहीं आलाकमान हरीश रावत को कैबिनेट मंत्री का ईनाम देती है या फिर हरीश रावत औऱ उनके समर्थकों को बगावत की सजा...ये तो वक्त ही बताएगा...फिलहाल मुख्यमंत्री बहुगुणा जरूर कह रहे होंगे...थैंक्यू हरीश रावत।
दीपक तिवारी
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