यह भारतवर्ष की विडंबना है और यहाँ की जनता का दुर्भाग्य, की हर पांच सात साल में यहाँ कभी धर्म कभी जाती, के नाम पर तो कभी प्रजातंत्र, या समाज सुधार के नाम पर, जयप्रकाश, वी पी सिंह, तोगड़िया, कटियार, अन्ना, पैदा हो जाते हैं, देश को धर्म को तक पर रख कर ये सुर्खियाँ बटोर कर चलते बनते है, बाबाओं के तो यहाँ कमी ही नहीं है, देश में लगभग दो हज़ार ऐसे बाबा हैं जो अपने नाम के पहले या बाद में भगवान लगते हैं. हम उन में हीरो की छवि देख कर उनसे सौ दुखों की एक ऐसी दवा की उम्मीद करते हैं, जो तुरंत जादू का सा असर करे, और वे देश, प्रजातंत्र, धर्म, आस्था सब से खिलवाड़ कर, ये कहते हुए निकल जाते हैं......... पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त, मेरे ब्लॉग www.adarshbhalla.blogspot.in पर ऐसे कुछ बाबाओं पर अवश्य नजर डालें
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