-बाबा बाजार के चर्चित ब्रांड हैं निर्मल बाबा
-त्रिकालदर्शी बनकर करते हैं दुःख दूर
त्रिकालदर्शी] तीसरी आँख निर्मल बाबा को लाखों लोग भगवान की तरह पूजते हैं। बाबा कभी झारखंड में ठेकेदारी करते थे अब लोगों की परेशानियों का इलाज कर रहे हैं। लोग तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं, ऐसे मूर्खों की भी कमी नहीं जो बिना मेहनत के शार्टकट के चक्कर में रहते हैं। बाबा बाजार में नए-नए ब्रांड की कमी कहां है। बाबा पैसे देने वालों के ही संकट दूर करते हैं। तीसरी शक्ति होने का दावा करने वाले बाबा का असल नाम निर्मल जीत सिंह नरूला है। वह दिल्ली की कैलाश कालोनी में रहते हैं। कहते हैं कि त्रिकालदर्शी हैं उन्हें वर्तमान, भूत, भविष्य सब दिखता है।उनके यहां एंट्री फीस तीन हजार रूपये है। गरीबों का प्रवेश वर्जित है। करोड़ों रूपये की आय होती है। भक्तों की सुविधा के लिये एकाउंट नंबर बताया जाता है। टीवी पर प्रसारण के खर्चें होते हैं। बीस मिनट में पांच लाख से अधिक, मैनेजमेंट, स्टाफ, मार्केटिंग व अन्य खर्चे अलग से। भक्त नहीं देंगे तो कौन देगा। इंटरनेट पर भी बाबा का हिला देने वाला तगड़ा नेटवर्क है। बाबा लोकसभा सदस्य झारखंड के नामी नेता इंदर सिंह रामधारी के सगे साले हैं। रामधारी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। निर्मल जीत सिंह को जब कई कामों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गए ओर यह काम खूब चल निकला। मेरे एक मित्र किडनी स्टोन से पीड़ित हैं सोचता हूं बाबा के तीसरे नेत्र से ही उसकी जांच करा लूं। बाबा कर दें तो दो हजार में ही काम हो जायेगा वरना डॉक्टर मुर्गा समझकर काट रहे हैं। बाबा से निवेदन है कि एक-एक करके लोगों की परेशानी दूर करने से अच्छा लोगों को एक साथ ही महंगाई ओर गरीबी से मुक्ति दिला दो। सभी के पास अपनी छत ओर दो वक्त की रोटी हो, कोई भूखा न सोये। यह हो जाये, तो बस आप ही का जलवा होगा।- नितिन सबरंगी
जब हमारे यहाँ लोग बेवकूफ बनने को हरदम तैयार बैठे हैं, तो ऐसे बाबा तो रोज पैदा होंगे......
ReplyDeleteनिर्मल बाबा आपकी दूकान पर अब रेड पड़ने वाली है, बचना है तो जो कुछ मान कमाया है उसे लेकर परदेस भाग जाओ।
ReplyDeleteनिर्मल बाबा सीबीआई आ रही है, फूट लो।
ReplyDeleteit is falsely written by you
ReplyDeleteTHANKS SABRANGI JI,
ReplyDeleteआज हमारे देश में अन्धविश्वाश बढ़ता जा रहा है, जिसका जिम्मेदारजनता है,पढ़े -लिखे ही नहीं अपितु बे-पढ़े भी आज बाबा , फकीरों, तांत्रिको के चक्कर में पड़े है कुल मिलकर धरम की आड़ में कुप्रथाए बढती ही जा रही है, रोज एक नया बाबा समाज में पैदा होता रहेगा जब तक कि अन्धविश्वास का खत्म नहीं होगा , इसकेलिए सभी वर्ग को आगे बढ़कर आगे आना होगा.
रमेश वर्मा स्वतंत्र पत्रकार