20.4.12

मत फरेबी अफसानों में हमें उलझाइए
कीजिए एहसान यार अब तो मान जाइए
दूरियों की चाहतें अब मुझे भाने लगी हैं
इन्तहा-ए-इश्क को अब कुबूल फरमाइए
-कुंवर प्रीतमmahanagarindia.blogspot.in

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