प्रेस कांफ्रेंस में अभिमन्यु सिहं राजवी के साथ भाजपा नेता |
अजमेर वासी भलीभांति जानते हैं कि जब वे दिल्ली से लौट कर दो बार अजमेर आए तो उनकी अगुवानी करने को चंद दिलेर भाजपा नेता ही साहस जुटा पाए थे। शेखावत जी की भतीजी संतोष कंवर शेखावत, युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा और पूर्व मनोनीत पार्षद सत्यनारायण गर्ग सहित चंद नेता ही उनका स्वागत करने पहुंचे। अधिसंख्य भाजपा नेता और दोनों तत्कालीन विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल ने उनसे दूरी ही बनाए रखी। वजह थी मात्र ये कि अगर वे शेखावत से मिलने गए तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया नाराज हो जाएंगी। पूरे प्रदेश के भाजपाइयों में खौफ था कि वर्षों तक पार्टी की सेवा करने वाले वरिष्ठ नेताओं को खंडहर करार दे कर हाशिये पर धकेल देने वाली वसु मैडम अगर खफा हो गईं तो वे कहीं के नहीं रहेंगे। असल में वे नहीं चाहतीं थीं कि शेखावत जी की परिवार शृंखला राजनीति में वजूद कायम कर पाए। इसी कारण शेखावत जी के जवांई नरपत सिंह राजवी को भी पीछे धकेलने की उन्होंने भरसक कोशिश की।
मगर अब समय बदल गया है। स्व. शेखावत की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर आगामी मंगलवार दिनांक 15 मई 2012 को प्रात: 10.00 बजे उनके पैतृक गांव खाचरियावास जिला सीकर में उनकी आदमकद प्रतिमा लगाने के समारोह में न केवल पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा भाग लेंगी, अपितु प्रदेश सहित अजमेर के विधायक, पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी शिरकत करेंगे। इसकी जानकारी स्वर्गीय शेखावत के दोहित्र अभिमन्यु सिंह राजवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी, वह भी भाजपा नेताओं रासासिंह रावत, अजित सिंह राठौड़, सलावत खान, अरविन्द यादव, विधायक अनिता भदेल आदि की मौजूदगी में दी।
यह पहला मौका नहीं कि स्वर्गीय शेखावत को मरणोपरांत सम्मान दिया जा रहा है। पिछले साल 15 मई को भारतीय जनता पार्टी शहर जिला अजमेर ने स्वर्गीय शेखावत को पहली पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उसमें भी अधिसंख्य भाजपा नेता शरीक हुए थे। प्रवक्ता व वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंद यादव की ओर से जारी भाजपा की अधिकृत विज्ञप्ति में बाबो सा शेखावत जी के नाम के साथ भारतीय जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य अलंकार भी जोड़े गए थे।
बेशक स्वर्गीय शेखावत न केवल भाजपाइयों के लिए अपितु पूरे प्रदेश के लिए सम्मानीय हैं। मगर सवाल ये है कि क्या आज श्रद्धा के पात्र ये वही शेखावत जी हैं, जिन्हें उनके जीते जी अजमेर आने पर किसी ने भाव नहीं दिया था। कैसी विडंबना। कल के अछूत बाबो सा आज अचानक पूजनीय कैसे हो गए? साफ है कि जीते जी उनसे वसुंधरा को खतरा था, मगर अब नहीं। उलटे अब तो उन्हें पूजने पर पूरे एक समुदाय के वोट हासिल होंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com
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