6.5.12
धर्म आराधना के साथ राष्ट्र सेवा: अजीब देश है हमारा भी.....
धर्म आराधना के साथ राष्ट्र सेवा: अजीब देश है हमारा भी.....: धर्मनिरपेक्ष होना अच्छी बात है लेकिन धर्म के प्रति उदासीन होना गलत बात है. मेरे दिमाग में रह रह कर के प्राचीन यूनान के स्पार्टा साम्राज्य के समाज व्यवस्था की याद आ जाती है जहा पर कुछ हजार स्पार्टन लाखो की संख्या में स्पार्टा में बसे "हैलोट" पर राज्य करते थे. हजारो में बसे स्पार्टन कानून और नियम बनाते और हैलोट बेचारे बस काम और मेहनत करके खा पीके सो जाते थे और उनका यही दिनचर्या बन गया था नतीजा ये हुआ की वो गुलामो की जिंदगी बिताने लगे और उनका जीवन दोयम दर्जे के गुलामो की तरह हो गयी थी जिन्हें अपने अधिकार और अपने देश के बारे में कुछ बोलने का अधिकार ही नहीं था उनका और वो एक आम नागरिक से धीरे धीरे गुलाम बन गए जबकि वो संख्या में राज्य करने वाले स्पार्टन से कई गुना अधिक थे. ये एक आदर्श उदाहरण हो सकता है उनके लिए जो अपने अधिकारों का उपयोग नहीं करते कुछ ऐसी ही समस्या हमारे हिन्दू भाइयो के साथ है उनके लिए अधिकारों की बात करना अपना समय बर्बाद करना या बकवास करने जैसा है और बोलने पर बोलते है की हमारे बाप का क्या जायेगा सच भी है हमारे बाप का कुछ नहीं जायेगा क्यूंकि वो तो अपनी जिंदगी आजाद देश में जी रहे है लेकिन क्या हम और क्या हमारी आने वाली पीढ़ी आजाद रहेगी.
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