मेरी मिल्कियत । (गीत)
(सौजन्य-गूगल)
है तड़पना मेरी मिल्कियत, तुझे छोड़ना है शराफ़त ।
चाहता था की बनी रहे, दरमियाँ हमारी ये उलफ़त ।
(उलफ़त = पारस्परिक संबंध ।)
अंतरा-१
वादा - ए - वफ़ा और कसमें वो, लबरेज़ निगाहें प्यार से..!
मिले आंसू-आंहें,टूटा दिल, लिखी नसीब में ये विरासत..!
है तड़पना मेरी मिल्कियत, तुझे छोड़ना है शराफ़त ।
(लबरेज़=लबालब)
अंतरा-२
लिखे जायेंगे, अफ़साने कई, होंगे हमारे चर्चे भी..!
सब बातें थीं, बातों का क्या? करे कौन हम पर शफ़क़त..!
है तड़पना मेरी मिल्कियत, तुझे छोड़ना है शराफ़त ।
(शफ़क़त =पीड़ित व्यक्ति के साथ दया भाव । )
अंतरा-३
ढूंढता हूँ अपने वारिस को, पूछता रहा मैं अपनों से ।
चलो, आप से भी पूछता हूँ, क्या है आप का भी अभिमत ?
है तड़पना मेरी मिल्कियत, तुझे छोड़ना है शराफ़त ।
(अभिमत = विचार,राय )
अंतरा-४.
कुछ कर सको तो अब यही, दुआ करना तुम मेरे यार ।
मिले ना मुझे,प्यार फिर कभी, न हो ज़िंदगी में ये अज़मत ।
है तड़पना मेरी मिल्कियत, तुझे छोड़ना है शराफ़त ।
(अज़मत = चमत्कार ।)
मार्कण्ड दवे । दिनांक-२९-७-२०१२.
bahut hi sundar prastuti
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