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दिल से । (गीत)
दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!
याद आऊँगा फिनिक्स बन कर, आये वो जल कर जैसे ।
(phoenix=फिनिक्स= एक पक्षी, जो सुर्य को पाने की चाह में, बार-बार जल कर फिर से ज़िंदा हो जाता है ।)
(जल के = सुलग कर)
अंतरा-१.
तहज़ीब का तकाज़ा यही था, कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें ।
तंग तशनगी, बन गई बंद अलार, दरमियाँ खुल कर कैसे..!
दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!
(तहज़ीब= शालीनता; तकाज़ा= स्मरण कराने की क्रिया ; तशनगी= प्यास; अलार= दरवाज़ा)
अंतरा = २.
बेसब्री ने ठाना था, मिलने का कोई बहाना तो मिले..!
आरज़ूओं का गला घोंट गई वस्ल, गले मिल कर जैसे ।
दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!
(बेसब्री=अधीरता; आरज़ू=इच्छा; वस्ल=मिलन)
अंतरा-३.
चश्मदीद गवाह माँग रहा है, ज़ालिम ज़माना लेकिन..!
क़ातिल निगाहों ने किया है छल, सँभल-सँभल कर कैसे..!
दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!
(चश्मदीद= प्रत्यक्षदर्शी )
अंतरा-४.
उम्रभर ढूंढा, हुश्नो - इश्क के सरमाएदार , अब तो..!
उम्र सारी घुल गई, वक़्त के अंधेरों में, गल कर जैसे ।
दिवार से मेरा नाम मिटा तो दोगे पर, दिल से कैसे..!
(सरमाएदार= पूँजीपति; गलना=पिघलना)
मार्कण्ड दवे । दिनांकः- २१-०८-२०१२.
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