देखा था जिसे
एक बार
यूं ही आँखे
बंद किए हुए
दिवास्वप्न में !
अब फिर वही,
अचानक उस दिन
बिना कुछ कहे
निकल गई
सामने से !!
उस दिवास्वप्न के बाद
हर रोज
कोशिश की थी
मैंने दिन में
फिर से सोने की !
मगर फिर कभी
आँखों में
नींद नहीं थी
था, तो, सिर्फ
उसी
दिवास्वप्न
के
दुहराए जाने
का इन्तजार!!
एक बार
यूं ही आँखे
बंद किए हुए
दिवास्वप्न में !
अब फिर वही,
अचानक उस दिन
बिना कुछ कहे
निकल गई
सामने से !!
उस दिवास्वप्न के बाद
हर रोज
कोशिश की थी
मैंने दिन में
फिर से सोने की !
मगर फिर कभी
आँखों में
नींद नहीं थी
था, तो, सिर्फ
उसी
दिवास्वप्न
के
दुहराए जाने
का इन्तजार!!
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