नाथ यदि हरवंश को गोद लें ले तो नाथ रहते हुये भी अनाथ रहने वाले जिले को नया नाथ चुनने का मौका मिल जायेगा
बीते दिनो सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक घटनाक्रम छिंदवाड़ा जिले में हुआ। एक पत्रकार वार्ता के दौरान कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के विकास की चर्चा करते हुये यह कह दिया कि इतना विकास तो पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा और सिवनी का भी नहीं हुआ हैं और चाहो तो ये हरवंश सिंह बैठे हैं इनसे पूछ लो।इस पर हरवंश सिंह ने जवाब दे दिया कि मैं भी तो छिंदवाड़ा का हूं। हरवंश सिंह के इस कथन से उन पर पहले लगे ये आरोप सही लगने लगे है कि उन्होंने छिदवाड़ा के हितों के लिये सिवनी के हितों को कुर्बान किया है। जंगल मे मोर नाचा किसने देखा की कहावत बहुत पुरानी हैं। लेकिन इन दिनों यह कहावत एक बार फिर चर्चा में आ गयी हैं।विज्ञप्ति जारी कर हरवंश सिंह ने बताया है कि छिंदवाड़ा से नैनपुर रेल लाइन के गेज परिवर्तन और रामटेक से गोटेगांव नयी रेल लाइन के बारे में चर्चा की और बोर्ड के सदस्य मिश्रा ने उन्हें जानकारी दी है कि छिंदवाड़ा सिवनी बड़ी रेल लाइन दो साल में पूरा हो जायेगी। इस सबसे और कुछ हुआ हो या नहीं हुआ हो लेकिन जिले में लोग चटखारे लेकर यह कहते हुये जरूर देखे जा रहें हैं कि सैलून में सिंह नाचा किसने देखा? जनता के लिये जो भी समस्यायें होती हैं उनके लिये कमोबेश इंका और भाजपा दोनों ही जवाबदार होती हैं लेकिन अपने को बचाते हुये दूसरे पर राजनैतिक हमलें करने की संस्कृति इन दिनों खूब फल फूल रही हैं। प्रधानमत्री का पुतला तो जला दिया जाता है लेकिन पुलिस मुख्यमंत्री का पुतला नहीं जलने देती हैं।
हरवंश को ही गोद लें ले नाथ-बीते सप्ताह मुसाफिर आपसे मुखातिब नहीं हो पाया था। इसलिये इस हफ्ते पुराने और नये राजनैतिक घटनाक्रमों पर हम चर्चा करेंगें। बीते दिनो सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक घटनाक्रम छिंदवाड़ा जिले में हुआ। जहां केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र में रेल मंत्री मुकुल राय ने परासिया माडल रेल्वे स्टेशन की आधारशिला रखी,अब प्रतिदिन चलने वाली छिंदवाड़ा दिल्ली ट्रेन को हरी झंड़ी दिखाया और अभी पूरी ना होने वाली छिंदवाड़ा नागपुर बा्रडगेज के विद्युतीकरण की भी आधार शिला रखी जो कि आमला नागपुर के नाम से स्वीकृत हुयी हैं। इसी कार्यक्रम के दौरान एक पत्रकार वार्ता के दौरान कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के विकास की चर्चा करते हुये यह कह दिया कि इतना विकास तो पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा और सिवनी का भी नहीं हुआ हैं और चाहो तो ये हरवंश सिंह बैठे हैं इनसे पूछ लो।इस पर हरवंश सिंह ने जवाब दे दिया कि मैं भी तो छिंदवाड़ा का हूं। जिले के विकास पुरुष कहे जाने वाले हरवंश सिंह का यह जवाब स्थानीय समाचार पत्रों में सुर्खियां भी बना। वैसे भी कांग्रेसियों में नाथों के नाथ कमलनाथ कहलाते हैंऔर वे गोद लेने के भी आदी रहें हैं। चुनाव प्रचार के दौरान वे जिले की अधिकांश विधानसभा सीटों को भी गोद ले चुके हैं। अब तो कांग्रेसियों के बीच चटखारे लेकर ख्ह चर्चा भी होने लगी हैं कि अच्छा हो कि कमलनाथ हरवंश सिंह का ही गोद लेकर अपने जिले से ही, जो कि हरवंश सिंह की मातृ भूमि भी है, से चुनाव लड़वा दें तो कम से कम जिला नाथ रहते हुये भी ऐसा अनाथ तो नहीं रहेगा जैसा कि पिछले दिनों देखा गया हैं और जिले को भी एक मौका मिल जायेगा कि वो अपना नया नाथ तलाश कर सके। वैसे हरवंश सिंह के इस कथन से उन पर पहले लगे ये आरोप सही लगने लगे है कि उन्होंने छिदवाड़ा के हितों के लिये सिवनी के हितों को कुर्बान किया है। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि परिसीमन में सिवनी लोकसभा के विलोपन,फोर लेन में आये अड़ंगें,संभाग मुख्यालय सिवनी ना बनने,बड़ी रेल के ना बनने आदि में हरवंश सिंह पर आरोप लगते रहें हैं कि उन्होंने अपने राजनैतिक स्वार्थों के लिये सिवनी के हितों पर कुठाराघात किया हैं। मातृ भूमि के लिये प्यार होना चाहिये यह तो ठीक है लेकिन उस कर्म भूमि के कर्जे को भी नहीं भूलना चाहिये जिसने उन्हें मातृ भूमि में मंच पर बैठाल कर सम्मान दिलाया। यह तो कम से कम नहीं ही भूलना चाहिये कि किस बुरे स्थिति और अपमानजनक हालात में मातृ भूमि को छोड़ना पड़ा था। वैसे हरवंश समर्थकों का कहना हैं कि इससे साहब को कोई नुकसान नहीं होगा ब्लकि ऐसा कहकर कमलनाथ ने अपने आप को महाकौशल के बजाय सिर्फ छिंदवाड़ा जिले का नेता ही मान लिया हैं।
चिट्ठी लिखने से परहेज करने वाले हरवंश ने मंत्री से की चर्चा-जंगल मे मोर नाचा किसने देखा की कहावत बहुत पुरानी हैं। लेकिन इन दिनों यह कहावत एक बार फिर चर्चा में आ गयी हैं। छिंदवाड़ा में रेल मंत्री मुकुल राय के कार्यक्रम के दो दिन के बाद जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश की तरफ से बाकायदा एक प्रेस नोट जारी कर यह बताया गयी कि रेल्वे के सैलून में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ की उपस्थिति में उन्होंने छिंदवाड़ा से नैनपुर रेल लाइन के गेज परिवर्तन और रामटेक से गोटेगांव नयी रेल लाइन के बारे में चर्चा की और डिब्बे में मौजूद रेल्वे बोर्ड के सदस्य मिश्रा ने उन्हें जानकारी दी है कि नैनपुर बड़ी रेल लाइन के मिट्टी के काम का टेंड़र लगने वाला हैं और दो साल में छिंदवाड़ा से सिवनी तक बड़ी रेल लाइन का काम पूरा हो जायेगा। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा से नागपुर के 125 कि.मी. गेज कनर्वशन का काम कमलनाथ के रहते हुये भी पांच साल में पूरा नहीं हो पाया हैं तो भला सिवनी से छिंदवाड़ा का 70 कि.मी. का गेज कनर्वशन का काम दो साल में हरवंश कैसे पूरा करा लेंगें?यह एक विचारणीय प्रश्न हैं। रहा सवाल रामटेंक सिवनी गोटेगांव नयी रेल लाइन का तो इसके लिये इंका नेता आशुतोष वर्मा सन 2007 से अभियान चलाये हुये हैं। इसमें दो बार पत्र लिखो अभियान चलाया गया जिसमें जिले के सैकड़ों जन प्रतिनिधियों सहित हजारों नागरिकों ने भाग लिया लेकिन हरवंश सिंह ने चिट्ठी लिखना भी पसंद नहीं किया। अब यह एक सोचने वाली बात है कि चिट्ठी लिखने से परहेज करने वाले हरवंश सैलून में मंत्री से चर्चा भला क्या और कैसी की होगी?सैलून में हरवंश की चर्चा को लेकर स्थानीय अखबारों में भी सुर्खियां बनी हैं और इस चर्चा को उनकी कार्यप्रणाली के विपरीत निरूपित किया हैं। लेकिन इस सबसे और कुछ हुआ हो या नहीं हुआ हो लेकिन जिले में लोग चटखारे लेकर यह कहते हुये जरूर देखे जा रहें हैं कि सैलून में सिंह नाचा किसने देखा?
प्रधानमंत्री का पुतला तो जल जाता है पर मुख्यमंत्री का नहीं-वैसे तो यह आम बात है कि प्रदेश सरकार के विरोध में कांग्रेस और केन्द्र सरकार के विरोध भाजपा आंदोलन,प्रदर्शन कर पुतले जलाती रहती हैं। हालांकि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सत्तारूढ़ दल हैं और जनता के लिये जो भी समस्यायें होती हैं उनके लिये कमोबेश दोनों ही जवाबदार होती हैं लेकिन अपने को बचाते हुये दूसरे पर राजनैतिक हमलें करने की संस्कृति इन दिनों खूब फल फूल रही हैं। राजनैतिक विश्लेषकों ने एक बात और विशेषकर नोट की हैं कि जब प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभाहने वाली भाजपा कोई आंदोनल करती है और प्रधानमंत्री का पुतला जलाने की घोषणा करती हैं तो वो पुतला जल लेती हैं लेकिन जब कांग्रेस प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री का पुतला जलाने की घोषणा करती है तो पुलिस येन केन प्रकारेण पुतला नहीं जलने देती चाहे इसके लिये आंदोलनकारियों से ही सांठगांठ क्यों ना करनी पड़े। ऐसा क्यों होता हैं? यह समझ से परे हैं। वैसे तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ही पद संवैधानिक पद है और दोनों ही जनता द्वारा निर्वाचित सरकारों के मुखिया होते हैं। बीते दिनों भाजपायुमो ने जिला अध्यक्ष नवनीत सिंह ठाकुर के नेतृत्व में डीजल और रसोई गैस की कीमतों की गयी वृद्धि के खिलाफ प्रर्दशन किया और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का बाकायदा पुतला भी जलाया। यह बात सही है कि इससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा लेकिन इसके लिये प्रदेश सरकार द्वारा डीजल और रसोई गैस पर लिया जाने वाला वेट टेक्स भी कम जवाबदार नहीं हैं। उसमें कुछ कमी करके राज्य सरकार भी जनता को राहत पहुंचा सकती थी जैसी कि केन्द्र सरकार ने पेट्रोल पर प्रति लिटर पांच रुपये से अधिक एक्साइज डयूटी कम करके उसकी कीमत को बढ़ने से रोक कर किया है। कुछ राज्यों ने भी अपने टेक्स में कमी करके जनता को राहत पहुंचायी हैं। लेकिन राजनीति के लिये राजनीति करना आजकल नेताओं का शगल बन गया हैं।
No comments:
Post a Comment