भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
2.9.12
लो आ गयी है फिर से रूत प्रेम की सुहानी
इस रूत में तुम मिलो तो बने इक नयी कहानी
बादल बरस रहे और मौसम है महका-महका
शायद ये मांगता है कोई प्रेम की निशानी
-कुंवर प्रीतम
2-9-12
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment