“प्लीज मेरा दुपट्टा दे दीजिए, मुझे छोड़ दीजिए, मुझे घर जाना है. प्लीज मेरे साथ ऐसा मत कीजिए. मैं तुम सबकी शिकायत तुम्हारे घर वालों और अपने परिवार से करूंगी.”
इतना कहना उन जालिमों को नागवार गुजरा और देखते ही देखते एक रात एसिड फेंककर उस युवती का चेहरा बिगाड़ दिया.
लेकिन
शायद सोनाली इस घाव को भूल भी जाती लेकिन समाज और सरकार की बेरुखी ने उसे
इस कदर तड़पा दिया कि उसने अपने लिए मौत मांगना ही सही समझा.
Acts Against Acid Attacks: तेजाबी हमलों को रोकने के लिए कानून
हालांकि
अपने देश में तेजाब हमलों से पीडि़त महिलाओं के अधिकृत आंकड़े उपलब्ध नहीं
हैं, पर अखबारों में ऐसी खबरें अकसर पढ़ने को मिलती हैं. ऐसी घटनाओं के बढ़ने के पीछे एक अहम वजह स्त्री विरोधी हिंसा के इस क्रूर अपराध के खिलाफ अलग से किसी कानून का नहीं होना भी है.
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