29.10.12

‘हिंदी’ में बोले मनमोहन सिंह



हिमाचल में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार चरम पर है...ऐसे में राज्य के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने 2014 के आम चुनाव से पहले का सेमिफाइनल माने जा रहे इस चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के लिए वोट मांगने हिमाचल प्रदेश के ऊना पहुंचे। मनमोहन सिंह के पहुंचने के बाद उनकी जनसभा में सुखद एहसास ये रहा कि मनमोहन सिंह साहब हिंदी में बोले। इसे सुखद एहसास इसलिए था क्योंकि हमारे पीएम साहब साल में दो ही बार हिंदी बोलते हैं...या तो 15 अगस्त को या फिर 26 जनवरी को...ऐसे में मौका न तो स्वतंत्रता दिवस का था और न ही गणतंत्र दिवस का...फिर भी पीएम साहब की हिंदी सुनकर सुखद एहसास तो होना ही था। मनमोहन सिंह ने हिमाचल प्रदेश में विकास की रफ्तार थमने की बात कहते हुए राज्य की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। जिस समय देश के पीएम मनमोहन सिंह भाजपा को कोस रहे थे...ठीक उसी वक्त ऊना में ही एक और पीएमइन वेटिंग की उपाधि से सजे भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी हिमाचल में विकास की बयार बहाने पर मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की पीठ ठोंक रहे थे। आडवाणी ने केन्द्र की कांग्रेस सरकार को कोसते हुए यहां तक कहा कि 2014 का चुनाव वक्त से पहले होगा और भाजपा की सत्ता की राह हिमाचल से ही प्रशस्त होगी। हिमाचल में जहां भाजपा के लिए अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस के लिए हिमाचल की सत्ता में वापसी करने की चुनौती। वैसे हिमाचल की रवायत है कि यहां पर हर पांच साल में यहां की जनता सरकार बदल देती है...लेकिन इस बार देश के हालात कुछ ज्यादा ही जुदा है...और सत्ता में वापसी का ख्वाब संजोए बैठी कांग्रेस भी शायद ये अच्छी तरह से जानती है कि केन्द सरकार के फैसलों से जनता की नाराजगी उसे भारी पड़ सकती है...लिहाजा कांग्रेस ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी हिमाचल में जनसभाएं कर चुके हैं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मैदान में उतर गए हैं...भाजपा की अगर बात करें तो हिमाचल और गुजरात के रास्ते केन्द्र की सत्ता की चाबी हासिल करने का ख्वाब देख रही भाजपा भी हर हाल में इन राज्यों में अपनी सत्ता को खोना नहीं चाहती...लिहाजा भाजपा से भी नितिन गडकरी से लेकर सुषमा स्वराज और अरूण जेटली तक राज्य में सभाएं कर चुके हैं...यानि मुकाबला कांटे हैं। कांटे के इस मुकाबले का फैसला भी जनता ने ही करना है...ऐसे में देखना ये होगा कि जनता हिमाचल में एक बार फिर से कमल लहराती है...या फिर हाथ का साथ देती है।


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