15.10.12

ओम प्रकाश चौटाला ले लें बलात्कार रोकने की गारंटी

अपराधों की कई श्रेणियां है…लेकिन अपराध कोई भी हो क्षमा योग्य तो नहीं कहा जा सकता और वो भी बलात्कार जैसा घिनौना अपराध तो कतई क्षमायोग्य नहीं होना चाहिए…क्योंकि बलात्कार के बाद न सिर्फ पीड़ित बल्कि पीड़ित का परिवार के लिए भी समाज का समना करना मुश्किल हो जाता है। कई मामलों में पीडित या तो आत्महत्या कर लेतीं हैं या फिर घुट घुट कर अपना जीवन बिताती है…हालांकि कुछ एक मामलों में पीड़ित एक नए जीवन की शुरुआत तो करते हैं…लेकिन ऐसे मामले गिनती के ही होते हैं। हरियाणा में बलात्कार की एक के बाद एक घटनाओं के बाद खाप पंचायतों की सोच कि कम उम्र में लड़कियों का विवाह करके उन्हें बलात्कार की घटनाओं से बचाया जा सकता है किसी भी नजर से सार्थक नहीं दिखाई देती…क्योंकि समाज में हम सब के बीच में भेष बदलकर घूमते हवस के भेड़िये सिर्फ अपनी हवस का शिकार सिर्फ अविवाहित लड़कियां ही नहीं होती बल्कि अधिकतर मामलों में विवाहित महिलाएं भी बलात्कार की शिकार होती आयी हैं…ऐसे में कम उम्र में विवाह इसका समाधान तो कतई नहीं हो सकता। जहां तक खाप पांचायतों की बात है तो खाप के पूर्व में अलग अलग मामलों में आने वाले फैसलों में कहीं न कहीं महिलाओं को रुढ़ीवादी परंपराओं में बांधने पर विश्वास रखते हैं ऐसा प्रतीत होता है। जो स्त्रियों की आत्मनिर्भरता को बाधित तो करते ही हैं…साथ ही स्त्रियों के सामाजिक औऱ शैक्षिक विकास को भी बाधित करते हैं…ऐसे में ओम प्रकाश चौटाला जैसे राजनीतिज्ञ जो खाप पंचायतों के फैसलों का समर्थन करते हैं कहीं न हीं उनकी विचारधारा पर भी संदेह होता है कि क्या कोई पूर्व मुख्यमंत्री भी स्त्रियों के सामाजिक और शैक्षिक विकास की बजाए उनकी आत्मनिर्भरता को बाधित कैसे कर सकता है…लेकिन ओम प्रकाश चौटाला के मामले में तो यही प्रतीत होता है। जहां तक कम उम्र में लड़कियों के विवाह की बात है तो निश्चित ही कम उम्र में विवाह लड़कियों के अधिकारों और उनकी अपेक्षाओं के साथ अन्याय प्रतीत होता है क्योंकि हर लड़की वो भी आज के समय में पढ़ना चाहती है और देश दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमा रही लड़कियों-महिलाओं की तरह बनना चाहती है…लेकिन परिजनों औऱ नाते रिश्तेदारों के दबाव में कम उम्र में विवाह उनके अधिकारों पर अतिक्रमण तो है ही साथ ही उनके सपनों और जीवन में कुछ कर गुजरने की अपेक्षाओं के साथ अन्याय भी है। जहां तक बात है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की…तो चौटाला साहब जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे तब क्या उनके कार्यकाल में बलात्कार की घटनाएं नहीं हुई थी…तब भी अपराध हो रहे थे…विवाहितों महिलाओं के साथ बलात्कार के सैंकड़ों घटनाएं हुई थी…लेकिन तब वो प्रदेश के मुखिया होने के बावजूद इन घटनाओं पर लगाम नहीं कस पाए। ऐसे में अब वो इस मामले में गारंटी लेना तो दूर की बात है…वे तो खाप पंचायतों की राय पर उसका समर्थन करने के अपने ही बयान से पलटते नजर आए थे…और कहते दिखे थे कि वे खाप के किसी फैसले या राय का न तो समर्थन करते हैं और न ही विरोध…यानि मूक सहमति तो उनकी खाप के साथ थी…लेकिन कहने से बच जरुर रहे थे। वैसे हमारे राजनेता विपक्ष में रहते हुए गारंटी तो हर चीज की ले लेते हैं…लेकिन सत्ता में आने के साथ ही ये गारंटी भी एक्सपायर भी उतनी ही जल्दी हो जाती है…जितने विश्वास के साथ नेता इसे लेते हैं।
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