राहुल गांधी कोई
इन्हें कांग्रेस का युवराज कहता है तो कोई देश का भावी प्रधानमंत्री...कांग्रेसी
नेताओं के लिए राहुल ही सबकुछ हैं...और इनके मुताबिक तो राहुल ही प्रधानमंत्री की
कुर्सी संभालकर देश का कल्याण कर सकते हैं। हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी
लगता है कि राहुल उनकी टीम का हिस्सा बनेंगे तो ही देश का उद्धार हो पाएगा। मनमोहन
सिंह कह कहकर थक गए लेकिन राहुल गांधी कैबिनेट में शामिल नहीं हुए तो नहीं हुए।
राहुल गांधी ने कई राज्यों में कांग्रेस की नैया पार लगाने की कोशिश की लेकिन असफल
ही रहे। इस दौरान कभी भी राहुल गांधी को गुस्से में नहीं देखा...वे हर बार कभी
दलित के घर खाना खाकर जमीन से जुड़े होने का एहसास जनता को कराते रहे तो कभी हिंसा
पीड़ितों से मुलाकात करते हुए दिखाई दिए। आमतौर पर चुनावी जनसभाओं में राहुल के
तेवर थोड़े उग्र जरुर दिखाई दिए...अब 31 अक्टूबर की उनकी हिमाचल प्रदेश में जनसभा
ही देख लें...राहुल भाजपा पर जमकर बरसे। लेकिन 01 नवंबर को जनता दल के अध्यक्ष
सुब्रहमण्यम स्वामी की प्रेस कांफ्रेंस ने राहुल को आग बबूला कर दिया। राहुल ने
स्वामी को न सिर्फ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी बल्कि ये तक कह डाला की ये अभिव्यक्ति
की आजादी का दुरुपयोग है। राहुल गांधी को इतने गुस्से में तो पहले कभी नहीं देखा
था...लेकिन स्वामी के शब्द बाण लगता है राहुल के दिल पर गहरा असर कर गए। वैसे राहुल
गुस्सा करें भी क्यों न केन्द्र सरकार के पीछे पहले से ही पड़े स्वामी ने इस बार
राहुल के साथ ही राहुल की मां सोनिया गांधी पर जो निशाना साधा। स्वामी ने न सिर्फ
राहुल के नाम बेनामी संपत्ति होने का आऱोप लगाया बल्कि कहा कि यंग इंडिया नामक
कंपनी में राहुल और सोनिया के 76 फीसदी शेयर हैं और दोनों का कंपनी पर मालिकाना हक
है लेकिन राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को कभी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी। राहुल
गांधी और उनकी मां पर सीधा तीर स्वामी ने छोड़ा था तो राहुल कहां चुप रहने वाले
थे...राहुल का गुस्सा फूट पड़ा। आमतौर पर शालीन दिखने वाले राहुल गांधी स्वामी के
आरोपों पर क्यों इतने तिलमिला उठे ये सोचने वाली बात है। राहुल की बात करें तो
राहुल पर सीधे इस तरह के आरोप पहले कभी नहीं लगे और राहुल अपनी एक अलग छवि बनाकर सक्रिय
राजनीति से थोड़ी दूरी बनाकर अपना काम करते देखे गए हैं। हां राहुल ऐसे किसी मौके
पर चूकते हुए भी नहीं दिखाई दिए जहां से उन्हें लोगों से सीधे जुड़ने का मौका
मिलता हो...लेकिन इस सब के बाद भी राहुल का करिश्मा कांग्रेस के लिए बहुत ज्यादा
काम करता नहीं दिखाई दिया। राहुल की उपस्थिति भले ही लोगों की भीड़ को इकट्ठा करती
दिखाई दी हो लेकिन ये भीड़ कभी भी राहुल से प्रभावित नहीं दिखी...ऐसा होता तो
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस की स्थिति कुछ और
ही होती। आरोप लगने पर राहुल का गुस्सा कहीं न कहीं ये ईशारा भी करती है कि कहीं
ये राहुल की खीज तो नहीं जो उनकी बेदाग छवि (जैसा कांग्रेसी बखान करते हैं) पर
आरोप लगने के बाद गुस्से के रूप में बाहर आई है। और शायद एक वजह ये भी कि स्वामी
ने राहुल के साथ ही उनकी मां सोनिया गांधी को भी आरोपों के घेरे में ला खड़ा किया।
बहरहाल वजह चाहे जो भी हो लेकिन स्वामी के आरोपों पर राहुल के तेवर से ये साफ हो
गया है कि राहुल अब राजनीति के छात्र नहीं रहे बल्कि राजनीति की पाठशाला से बाहर
निकलकर राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं...वैसे हो भी क्यों न कांग्रेसियों
ने पूरी तैयारी जो कर ली है राहुल गांधी को मनमोहन सिंह के बाद देश का अगला
प्रधानमंत्री बनाने के लिए...लेकिन ये सवाल अपनी जगह है कि आखिर राहुल का नंबर कब
आएगा ?
deepaktiwari555@gmail.com
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