1.11.12

सोनिया कहती नहीं करके दिखाती हैं



हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए एक सप्ताह में सोनिया गांधी दो बार पहुंची...पहली बार मंडी और दूसरी बार शिमला और कांगड़ा...सोनिया के पास कहने के लिए कुछ नया नहीं था...ऐसे में सोनिया दोनों ही बार मंच से ये कहती जरूर सुनाई दी कि राज्य की धूमल सरकार ने केन्द्र के पैसे का दुरुपयोग किया है...साथ ही ये कि भाजपा भ्रष्टाचार के बाद चुप बैठ जाती है और भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। गौर कीजिए ये बात यूपीए अध्यक्ष सोनिया कह रही हैं...जिनकी यूपीए सरकार के करीब एक दर्जन से ज्यादा मंत्री गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं...जिनके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर खुद कोयला घोटाले में लिप्त होने का आरोप लगा है। सोनिया जी ये नहीं बताती कि उन्होंने उनकी सरकार में शामिल भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की अलबत्ता वो करके दिखाती हैं भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे सलमान खुर्शीद जैसे मंत्री का प्रमोशन करके। मैं कोई भाजपा की विचारधारा से प्रभावित शख्स नहीं हूं और न ही कांग्रेस का विरोधी...लेकिन शिमला में सोनिया गांधी का ये बयान सुनने के बाद लिखे बिना रहा भी ही गया। खैर ये तो राजनेताओं को चरित्र है...खुद पर आरोप लगे तो कोई दिक्कत नहीं...विपक्षी पर आरोप लगे तो उसे घेरने का कोई मौका मत छोड़ो। सोनिया भी शायद ऐसा ही कुछ कर रही हैं। सोनिया ने शिमला में एक और मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी...जो शायद इस वक्त कांग्रेस की नैया डुबाने में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकता है। वो मुद्दा है महंगाई का...सोनिया शायद उत्तराखंड का टिहरी उपचुनाव और पश्चिम बंगाल का जंगीपुर उपचुनाव नहीं भूली होंगी...टिहरी उपचुनाव में जहां कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा को करारी हार का सामना करना पड़ा और जंगीपुर में 2009 में कराब सवा लाख की जीत का वोटों का अंतर ढाई हजार में सिमट कर रह गया था...और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभीजीत मुखर्जी बमुश्किल अपनी हार टाल पाए थे। इन दो उपचुनाव के नतीजे शायद सोनिया को महंगाई पर मुहं खोलने के लिए मजबूर कर गए। हालांकि सोनिया यहां भी सिर्फ महंगाई के मुद्दे पर चिंता जताते हुए इस पर विचार करने की बात कहकर ही लोगों को आश्वासन ही देती दिखाई दीं। खैर सोनिया गांधी भी ये बात तो अच्छी तरह समझती होंगी कि महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दे पर सिर्फ आश्वासन से तो कम से कम जनता का काम चलने वाला नहीं है...यानि कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में सोनिया अगर सोच रही हैं कि महंगाई पर चिंता जताकर या इस पर सरकार के गंभीर होने की बात कहकर वे कांग्रेस की नैया हिमाचल में पार लगाने में सफल होंगी तो शायद ये सोनिया और कांग्रेस दोनों की गलतफहमी ही होगी। बहरहाल दामन हिमाचल में कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंदि भाजपा का भी पाक साफ नहीं है और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ ही राज्य की धूमल सरकार पर भी भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हैं...यानि की हिमाचल में राह भाजपा और कांग्रेस दोनों की आसान नहीं है।

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