मुलाकात हुई क्या
बात हुई...देश की सियासत में सबसे अहम स्थान रखने वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी
लखनऊ में यूपी की सियासत के पुराने चावल और वरिष्ठ कांग्रेस नेता एनडी तिवारी से
मिलने जब राज्य की सत्तारूढ़ दल के सुप्रीमो मुलायम सिंह पहुंचे तो सियासी
गलियारों में कुछ ऐसी ही चर्चाएं आम थी। ये चर्चाएं बेवजह नहीं थी...इस मुलाकात ने न सिर्फ देश की सियासत में गर्मी ला
दी है...बल्कि कहीं न कहीं यूपी में अपनी खोई जमीन को वापस पाने की कोशिश में लगी
कांग्रेस के माथे पर भी बल ला दिए हैं...और ऊपर से मुलायम से मुलाकात के बाद
तिवारी का ये बयान की देश की निगाहें मुलायम सिंह की तरफ देख रही हैं...ये समझने
के लिए काफी है कि आने वाले दिनों में ये मुलाकात कोई न कोई सियासी रंग जरूर
दिखाएगी। वैसे मुलायम सिंह की अगर बात करें तो मुलायम सिंह का पीएम बनने का सपना किसी
से छिपा नहीं है...और मुलायम की जोड़तोड़ ये ईशारा भी कर रही है कि मुलायम इस
कुर्सी को पाने के लिए हर तिकड़म आजमा रहे हैं। केन्द्र के साथ रिश्तों पर मुलायम सिंह
का पल पल बदलता बयान और केन्द्र सरकार के साथ रहने या न रहने पर असमंजस भी ये जाहिर
करता है कि मुलायम की ये ईच्छा खूब हिलोरें मार रही है। वैसे एनडी के साथ मुलायम
सिंह की मुलाकात की पीछे एक और सवाल जेहन में आता है कि क्या मुलायम सिंह खुद को
एनडी के साथ दिखाकर यूपी के ब्राह्म्ण वोटर्स को साधने की कोशिश तो नहीं कर रहे
हैं ? इस बात में दम
इसलिए भी है क्योंकि यूपी में एनडी तिवारी से बड़ा कोई नेता नहीं है...और यूपी में
ब्राह्मण वोटों की तादाद करीब 21 फीसदी है...जो यूपी में किसी भी पार्टी के साथ हो
जाएं तो दूसरी पार्टियों के सियासी समीकरण तो बिगाड़ ही सकते हैं। यूपी का इतिहास
भी इस बात का गवाह है कि यूपी में ब्राह्मणों ने खूब राज किया है और यूपी के अब तक
के 19 मुख्यमंत्रियों में से सबसे ज्यादा 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मण थे...जिनमें एनडी
तिवारी का भी नाम है...और इन ब्राह्मण मुख्यमंत्रियों ने यूपी में 23 साल तक शासन
किया। यूपी के राजनीति के सूरमा मुलायम सिंह से बेहतर इस बात को कौन समझ सकता है
कि अगर तीसरे मोर्चे की शक्ल में केन्द्र की सत्ता में पहुंचना है तो आगामी आम
चुनाव में यूपी में सपा को अपने बूते कम से कम 40 से 50 सीटें तो हासिल करनी ही
होंगी...तभी जाकर उनका ये सपना आकार ले सकता है। मुलायम ये भी जानते हैं कि उनके
इस सपने को आकार देने में यूपी के ब्राह्म्ण वोटर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते
हैं...और इस वक्त यूपी में सबसे बड़ा ब्राह्म्ण नेता एनडी तिवारी के अलावा कोई
दूसरा नहीं हैं...और एनडी के सहारे ही ब्राह्म्ण वोटर्स को साधा जा सकता है। सवाल
ये भी उठता है कि अगर वाकई में एनडी तिवारी सबसे बड़े ब्राह्म्ण नेता हैं तो क्यों
नहीं कांग्रेस ने एनडी के सहारे यूपी में अपनी नैया को पार लगाने की कोशिश की...? क्या कांग्रेस आलाकमान
को कई मौके पर अपनी साख खो चुके एनडी तिवारी पर भरोसा नहीं था या फिर कांग्रेस
आलाकमान नहीं चाहता कि पीएम की कुर्सी की दौड़ में राहुल गांधी के आगे कोई कद्दावर
नेता खड़ा हो ? ये सवाल इसलिए भी क्योंकि
अगर एनडी तिवारी का चुनाव में पूरा उपयोग कांग्रेस करती तो कांग्रेस में उनके कद
का कोई दूसरा बड़ा नेता नहीं है और तिवारी का अनुभव और वरिष्ठता भी सभी नेताओं पर
भारी पड़ती है। ऐसे में फिर तिवारी कहीं न कहीं कांग्रेस के सत्ता में आने की
स्थिति में प्रधानमंत्री की कुर्सी की स्वाभाविक दावेदार हो जाते और राहुल गांधी
को कुछ और साल इंतजार करना पड़ता। खैर सियासत में जो न हो वो कम है...कांग्रेस ने
तिवारी पर भरोसा नहीं किया कहें या फिर तिवारी को राहुल की राह का रोड़ा समझा...लेकिन
तीसरे मोर्चे के सहारे पीएम पद की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देख रहे मुलायम ने
जरूर एनडी तिवारी के सहारे यूपी में ब्राह्मण वोटरों को साधने का खेल शुरु कर दिया
है...अब मुलायम के इस खेल के सूत्रधार और कौन कौन नेता बनते हैं..ये तो वक्त ही
बताएगा।
deepaktiwari555@gmail.com
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