22.12.12

शायद धूप


* बलात्कारों के विषय में मेरी अक्ल कुछ काम नहीं कर रही है |

* बलात्कारी को फाँसी , और हत्यारे को प्रधान मंत्री की गद्दी ?

* अप्रामाणिक विचार =
मेरा ख्याल या विचार था कि लडकियाँ पुरुष मित्र बनाने से सुरक्षित होती हैं , उसी प्रकार जैसे पति करने से | दोनों ही बातें गलत साबित हुयीं | पति और पुरुष मित्र के समक्ष भी बलात्कार हो जाते हैं |

* सोचता हूँ , शिव सेना या माओ सेना का आतंक क्या दिल्ली में नहीं होना चाहिए ?

* नैतिकता जिद से आती है | पुरुषों को यह गाँठ बाँधना होगा कि उन्हें औरतों का आदर करना है , माँ समझकर - बहन समझकर या देवी समझकर | या यही समझकर कि वे हमारी रक्षिता हैं | इसमें कोई बुराई नहीं है , भले असमानता का कुछ अंश है | मानना पड़ेगा कि व्यवहारों में विसंगति के कारणों में एक छोटा सा हिस्सा बराबरी और समतावाद का भी है | बराबर हो तो भुगतो | लो करो बराबरी | इसमें तो ताक़तवरों की चाँदी होती है | औरत यदि थोड़ी कमज़ोर दिख जायगी तो उसका कुछ नुक्सान नहीं हो जायगा | लेकिन नहीं , वे न बाप की मानेंगी , न बूढ़ों की सुनेगी | तो जवान भी उनकी नहीं सुनने वाले |

* तथापि , दिन दूर नहीं जब लडकियाँ बलात्कार से बचने में सक्षम और समर्थ हो जायेंगी |

* नवाब लोग पान खाते थे तो उनके बगल में पीक दान भी रहता था | अब के नवाब तो पूरी सड़क को पीकदान बनाये हुए हैं |

* शायद धूप
कुछ निकल आये
कविता लिखूँ |
[ 'शायद धूप' नाम से मेरी कविता / हाइकू की कोई किताब हो सकती है ]

* थोडा ओंकार
ज्यादा सा अहंकार
मेरी ज़िन्दगी |

* लाभकारी है
निरुद्देश्य घूमना भी
यह जानिए |

* शांत चित्त हो
बैठो हमारे पास
उपासन में |

* शून्य में जाओ
जब भी मौक़ा मिले
ध्यान प्रणाली |

* अच्छा होता है
शून्य में विचरण
शांति समग्र |

* मिलेगा उसे
जो उसका देय है
निश्चित मानो |

* समतावादी
अपने बराबर
किसी को नहीं |

* पड़ता ही है
चाहना को रोकना
कुछ न कुछ |

* चाहें न चाहें
कोई लड़कियों को
मारता नहीं |

* यही तो हुआ
कि तुम बूढ़ी हुई
मैं बूढ़ा हुआ !

* बहुत आये
तुम्हारे जैसे बली
बहुत गए |

* कहा तो मैंने
मुझे प्यार चाहिए
सुनो तब न !

* कोई इंतज़ार
बढ़ा देता है उम्र
अनेक बार |

* नो प्राबलम
बहुत बड़ा मन्त्र
जीवनाधार |

* एक उम्मीद
हज़ार नेमत है
जीवन दायी |

* अन्याय होता
अन्याय लगता भी
कुछ ज्यादा है |

* लिखता जाऊँ
ख़त्म ही नहीं होतीं
बातें , क्या करूँ ?

* Do you know God ? If you know God , send him a friend request .:-)

* देखिये , अन्याय होता तो है | लेकिन इसके साथ यह भी है कि कौन किस बात को और कहाँ  तक किसी बात को अन्याय समझता है, इससे भी फर्क पड़ता है | वह उदाहरण लिख दूँ, जिससे यह विचार आया | मान लीजिये आप के किसी अवैध कब्ज़े को पालिका कर्मियों ने उजाड़ दिया , या ट्रैफिक वाले ने आपका चालान कर दिया | ज़ाहिर है , आप ने उन्हें देख -पहचान लिया | आप इज्ज़तदार -रसूखदार हैं | आपने इसे अपनी बेईज्ज़ती समझी और अवसर पाकर उन्हें पीट दिया बिना यह सोचे कि वे तो अपना  कर्तव्य निभा रहे थे | [ यही आजकल अधिकाँश हो ही रहा है ] | इसलिए मेरी स्थापना यह है कि इस तरह का अपमान हो या सचमुच का , अन्याय हो या अन्याय होता लगे , किसी भी दशा में बल अथवा शस्त्र का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए |

* [ उवाच ]
# आत्मसंयम का नाम है संस्कृति - संस्कार | बलात संयम को कहते हैं राजनीति- सरकार |
# हास्य आदमी के अहंकार को मिटाने में मदद करता है | वह किसी के मजाक का बुरा जो नहीं मानता  !
# यदि मैं जानता और मानता हूँ कि ' भय बिनु होय न प्रीत ' , तो मुझे इस्लाम की कथित कड़ाई का समर्थन करना चाहिए |
# आप ने किसी से उसकी जात पूछ ली , तो यकीन मानिए आपने तो अपनी जात बता दी |
# मुझे कुछ शब्दों से आपत्ति है , जिसे मैं शब्दों के द्वारा व्यक्त करता हूँ |  OR =
मेरे कुछ शब्दों का , शब्दों के लिए , शब्दों के द्वारा विरोध है | [अस्पष्ट?]
# कनेक्टिकट विद्यालय में हुए संहार की घटना को सन्दर्भ में लें | अब समय आ गया है कि अस्त्रों का सम्पूर्ण समापन करें और " किसी का भी किसी भी दशा में वध नहीं का मन्त्र अपनाएँ " |

* [ अमानव वाद ]
# मत बंद कीजिये /
अपने जानवर का दरबा /
वरना जानवर अन्दर /
बंद हो जायगा /
तुम्हे ज्यादा जानवर बना देगा | $

# [ अमानव वादी ]
आप होंगे मनुष्य /
यह नाम तो आपने दिया /
मुझको गलत , जैसे /
किसी का नाम आपने /
ईश्वर दे दिया /
वरना मै तो जानवर हैं /
यह नाम मैं अपने लिए /
स्वीकार करता /
धारण करता हूँ /
अपने पशु बंधुओं के साथ /
भाईचारे में | $

# मनुष्य बनने , या कहें , महज़ कहलाने के चक्कर में हम कई असहज -अस्वाभाविक -अप्राकृतिक और  गैर ज़रूरी किंवा , आप की भाषा में अमानवीय हरकतें कर जाते हैं कि हम जानवरों को शर्म आती है | क्योंकि वे साधारण जैविक आचरण के विरुद्ध होती हैं |

* बीड़ी पिया था उसने
उसने मुझे चूमा
सर अभी तक
चकरा रहा है |
$
* ऐसा करेंगे
वह मिलें तो हम
वैसा करेंगे
सोचता रह गया
क्या क्या करेंगे ?
$
[ BADMESH ]
* उर्दू और हिंदी में वही फर्क है जो मुशायरे / कवि सम्मलेन के दौरान नीरज और बशीर बद्र में है |
[सुना है जहाँ नीरज जाते हैं वहां बशीर बद्र नहीं जाते, और जहाँ बशीर बद्र होते हैं वहां नीरज नहीं होते]

* वेश्या वृत्ति कानूनी होनी चाहिए या नहीं , यह उसी तरह का प्रश्न है जैसे F D I आनी चाहिए या नहीं ?

[बदमाश चिंतन]
* यदि किसी को सपने बहुत आते हैं , तो उसे स्वप्न दोष का रोगी नहीं माना जा सकता |
* मुझे बूढ़ों का व्यक्तित्व बहुत जमता है | इरफ़ान हबीब , हबीब तनवीर , रजनी कोठारी को मैंने देखा और सराहा है | अब मुझे बूढ़ा होना अच्छा लगने लगा है |
* मुझसे कोई व्यापार करा ले , और मेरा दिवाला निकलने से बच जाए तो मैं अपनी जाति और पूरी जाति प्रथा के खिलाफ हो जाऊँगा |

[ शेरो शायरी ]
* जेहि विधि मिले खूब विज्ञापन ,
समझो पत्रकारिता आपन |

* खुद के घर तो बहुत हैं , उनमें वह रहता नहीं है ,
कभी वह घर पर हो, तो सोचता हूँ मिल आऊँ |

* हर आदमी चालाक बहुत है , अपनी अपनी पारी में ,
हर मनई बुरबक है भारी , अपनी अपनी पारी में |
मुँह बाये हर लोग यहाँ पर अमृत घट पी जाने को ,
हर मनाई गू खोद रहा है अपनी अपनी पारी में ||

* न हिंदी से मेरा नाता , न उर्दू से मेरा मतलब ,
जसमे बातें मेरी आ जायँ, वही भाषा मकतब |

* एक शायर का यह मिसरा बहुत प्रभाव शाली है =
" तुम्हारे क़दमों को रोक पाए , किसी में इतनी मजाल क्या है "

1 comment:

  1. कमाल का लेखन है, बेहतरीन....

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