1.12.12

एक रुपये के अखबार को दस रुपये की चीन-आयातित पोलिथीन शीट ने हरा दिया


अखबार गरीबों के विकास कि चाहे जितनी चिन्ता करते हों, लेकिन स्टेशन पर गरीबों के बिछावन के तौर पर जरुर भारत-प्रसिद्ध था। सबसे कम किमत में मिलनेवाला अखबार गरीब तथा निम्न-मध्यवर्ग का चहेता इसलिए भी था क्योंकि वह थाली-प्लेट, ओढ़ना-बिछावन भी बन जाता था। पाठकों का एक वर्ग इसी बहाने अखबार खरीदता था, कुछ पन्ने बिछाता था, कुछ पन्ने पढ़ता और कुछ पर खाना खा लिया करता था।


      विगत कुछ वर्षों में चीन से आयातित पोलिथीन शीट दस रुपए में सभी रेलवे स्टेशनों पर मिल जाती है, जो असाधारण रुप से रंगीन होती है – भारत के किसी सबसे रंगीन समाचार-पत्र से ज्यादा रंगीन। इसकी लंबाई पाँच फुट और चौड़ाई तीन फुट होती है। वजन हर अखबार से कम। इस पर खाना खाने के बाद धोया जा सकता है, धोने के बाद एक रुमाल से पोंछ दें तो इस पर तुरंत सोया जा सकता है।
क्यों नहीं भारत से आगे रहेगा वह देश जिसने भारत के उस वर्ग की समस्या को दूर बैठे ही हल कर दिया। अब हर बार स्टेशन पर अखबार नहीं खरीदना पड़ता। एक पोलिथीन शीट कई महीने तक दैनिक यात्री के बैग में पड़ा रहता है।

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