FDI ,नेता और आम भारतीय
रिटेल में FDI पर सरकार और नेता क्या कहते हैं इस बात को महात्मा गांधी की विकास
नीति से शुरू करेंगे। महात्मा गांधी वो शख्सियत है जिसको नमन सब पार्टियां करती है
परन्तु उसकी विचारधारा से भी पर्याप्त दुरी भी सब ने बना रखी है।गांधी को नमन भी
उनके नाम पर वोट मिल जाते हैं इसलिए ज्यादातर करते हैं।
महात्मा गांधी के कहने भर से देशवासियों ने विदेशी कपड़ो की होली जला दी
और खादी के वस्त्र धारण कर लिए ,क्यों हुआ होगा उस समय ऐसा ? क्योंकि उस नेता में
देश प्रेम छलकता था और देशवासी उसका अनुकरण करते थे। गांधी ने कुटीर और लघु
उद्योगों के द्वारा देश के विकास का खाका खींचा क्योंकि गांधी को मालुम था भारत के प्राण
गाँवों में बसते हैं मगर इस विचारधारा को तुरंत ही हांसिये पर धकेल दिया गया।
गांधी ने फिरंगियों को बाहर किया ताकि देशवासियों का शोषण भविष्य में ना हो।
क्या उस समय भारत की गरीबी को गांधी नहीं जानते थे?गांधी जानते थे की गरीबी और
गरीब की मज़बूरी क्या होती है इसीलिए तो वे अध नंगा फकीर बने रहे। जो व्यक्ति भारत
की गरीबी को जानता हो क्या उसके पास उसका समाधान नहीं था? समाधान था,इसीलिए
गांधी कुटीर और लघु उद्योग चाहते थे ,सबको स्वाभिमान से जीता देखना चाहते थे,मगर
उनकी नीति को नहीं अपनाया गया इसलिए आज गरीब मिटता जा रहा है।
अब बात FDI की ,सरकार तर्क देती है कि FDI से बिचोलिये खत्म हो जायेंगे।
यह बात सच है कि करोड़ो बिचोलिये खत्म हो जायेंगे,आत्म हत्या कर लेंगे या भिखारी
बन जायेंगे;मगर ये बिचोलिये हैं कौन? क्या वे भारतीय लोग नहीं हैं या ये विदेशी लोग हैं।
करोड़ो भारतीयों को बिचोलिये बना कर सरकार उनकी रोटी छिनना क्यों चाहती है?जो
लोग खुद की व्यवस्था बना कर ,खुद की अल्प पूंजी लगाकर,खुद पुरुषार्थ और मेहनत कर
सरकार पर बिना भार बने अपना परिवार पाल रहे हैं वो बिचोलिये कैसे हो सकते हैं वो
तो भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख अंग हैं।उन करोड़ो भारतीयों को बेरोजगारी के खप्पर
में क्यों होमना चाहती है सरकार?
सरकार का दूसरा तर्क है कि बिचोलिये जब हट जायेंगे तो भारतीयों को सस्ते दामों
पर वस्तुए उपलब्ध हो जायेंगी।किन भारतीयों के लिए चीजें सस्ती होगी? 90%गरीब लोगों
के लिए या 10%अमीर लोगों के लिए ?क्योंकि 90% भारतीय तो गरीब है।क्या भारत में जीने
का वास्तविक अधिकार 10% के लिए ही होना चाहिए ?क्या सिर्फ 10%लोगो के लिए FDI
को लाकर 90%लोगो का शोषण वाजिब होगा?
सरकार कहती है कि किसान FDI को अपना माल ऊँचे मूल्य पर बेच कर शोषण
मुक्त हो जाएगा ,क्या FDI समर्थित मूल्य से ऊपर दाम किसानो को देगा ?भारत की खेती
छोटे-छोटे भूमि के टुकडो में बँटी हुई है।ज्यादातर किसानो के पास पाँच -सात एकड़ जमीन
भी नहीं है।यदि एक एकड़ में तीन से चार बोरी गेंहू का उत्पादन मान लिया जाए तो 20-25
बोरी गेंहू किसान की पैदावार हुयी ,उसमे से किसान अपने उपयोग के लिए 10-12 बोरी गेंहू
रख लेता है और बाकी बाजार में बेचता है तो क्या FDI गाँव-गाँव जाकर वह धान लेगी ?
हर खेत की उपज का दाना अलग-अलग होता है ,क्या FDI सबके अलग-अलग किस्म के
धान को ऊँचे भाव में खरीद पाएगी?अगर नहीं तो फिर उस धान को कौन खरीदेगा ?बिचोलिये
को तो आप खत्म कर देंगे!
सरकार कहती है किसान की फसल का 30-35%भाग वर्तमान में नष्ट हो जाता है।
कैसे हो जाता है ?जो किसान दिन रात मेहनत करके सोना उपजाता है वह उसे नष्ट होने देगा ?
किसान की फसल में प्रमुख रूप से चावल,गेंहूँ मक्का,बाजरा,जीरा,सरसों,चना,मुंग आदि दाले
आती है ,क्या ये फसलें सड़ के खराब हो जाती है?.....फिर क्यों अनर्गल बातें की जाती है।
किसान सब्जियों में आलू,प्याज,लहसुन बड़ी मात्रा में पैदा करता है उसको सहेजने के लिए
कोल्ड स्टोरेज गाँव-गाँव में चाहिए,क्या FDI गाँव-गाँव में कोल्ड स्टोरेज का निर्माण करेगी
और कहेगी -हे किसान!तुम कोल्ड स्टोरेज में अपनी फसल रख लो और जब सही भाव आये
तब बेच लेना!! जो काम सरकार को करना चाहिए वह तो हो नहीं रहा और हम दूसरों के भरोसे
देश को छोड़ देना चाहते हैं।
सरकार कहती है कि कोई नुकसान देश को नहीं होगा,देश की तरक्की होगी FDI के
आने से ?क्या FDI कोई परोपकारी संस्था है जो अपने देश का धन भारत में लुटाने आयेगी ?
FDI भारत से कमा कर अपने देश में धन ले जाने के लिए आएगी। FDI की दुकाने हर गली
नुक्कड़ में नहीं लगने वाली है इसलिए सब खुदरा व्यापारियों को नुकसान नहीं होगा,यह
सरकार कहती है,मगर 100/-के पिज्जा बर्गर की होम डिलेवरी करने वाली FDI 1000/-के
सामान की होम डिलेवरी नही करेगी?कीमतों को डम्पिंग करके छोटे किराना को नहीं डकार
जायेगी?
हमारा ही आलू ,हमारा ही प्याज,हमारा ही आटा , मैदा ,हमारे ही आदमी उनका सिर्फ
बनाने का तरीका और उसके बदले में ले लिया चोखा नफा ...यह है FDI .
रिटेल में FDI पर सरकार और नेता क्या कहते हैं इस बात को महात्मा गांधी की विकास
नीति से शुरू करेंगे। महात्मा गांधी वो शख्सियत है जिसको नमन सब पार्टियां करती है
परन्तु उसकी विचारधारा से भी पर्याप्त दुरी भी सब ने बना रखी है।गांधी को नमन भी
उनके नाम पर वोट मिल जाते हैं इसलिए ज्यादातर करते हैं।
महात्मा गांधी के कहने भर से देशवासियों ने विदेशी कपड़ो की होली जला दी
और खादी के वस्त्र धारण कर लिए ,क्यों हुआ होगा उस समय ऐसा ? क्योंकि उस नेता में
देश प्रेम छलकता था और देशवासी उसका अनुकरण करते थे। गांधी ने कुटीर और लघु
उद्योगों के द्वारा देश के विकास का खाका खींचा क्योंकि गांधी को मालुम था भारत के प्राण
गाँवों में बसते हैं मगर इस विचारधारा को तुरंत ही हांसिये पर धकेल दिया गया।
गांधी ने फिरंगियों को बाहर किया ताकि देशवासियों का शोषण भविष्य में ना हो।
क्या उस समय भारत की गरीबी को गांधी नहीं जानते थे?गांधी जानते थे की गरीबी और
गरीब की मज़बूरी क्या होती है इसीलिए तो वे अध नंगा फकीर बने रहे। जो व्यक्ति भारत
की गरीबी को जानता हो क्या उसके पास उसका समाधान नहीं था? समाधान था,इसीलिए
गांधी कुटीर और लघु उद्योग चाहते थे ,सबको स्वाभिमान से जीता देखना चाहते थे,मगर
उनकी नीति को नहीं अपनाया गया इसलिए आज गरीब मिटता जा रहा है।
अब बात FDI की ,सरकार तर्क देती है कि FDI से बिचोलिये खत्म हो जायेंगे।
यह बात सच है कि करोड़ो बिचोलिये खत्म हो जायेंगे,आत्म हत्या कर लेंगे या भिखारी
बन जायेंगे;मगर ये बिचोलिये हैं कौन? क्या वे भारतीय लोग नहीं हैं या ये विदेशी लोग हैं।
करोड़ो भारतीयों को बिचोलिये बना कर सरकार उनकी रोटी छिनना क्यों चाहती है?जो
लोग खुद की व्यवस्था बना कर ,खुद की अल्प पूंजी लगाकर,खुद पुरुषार्थ और मेहनत कर
सरकार पर बिना भार बने अपना परिवार पाल रहे हैं वो बिचोलिये कैसे हो सकते हैं वो
तो भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख अंग हैं।उन करोड़ो भारतीयों को बेरोजगारी के खप्पर
में क्यों होमना चाहती है सरकार?
सरकार का दूसरा तर्क है कि बिचोलिये जब हट जायेंगे तो भारतीयों को सस्ते दामों
पर वस्तुए उपलब्ध हो जायेंगी।किन भारतीयों के लिए चीजें सस्ती होगी? 90%गरीब लोगों
के लिए या 10%अमीर लोगों के लिए ?क्योंकि 90% भारतीय तो गरीब है।क्या भारत में जीने
का वास्तविक अधिकार 10% के लिए ही होना चाहिए ?क्या सिर्फ 10%लोगो के लिए FDI
को लाकर 90%लोगो का शोषण वाजिब होगा?
सरकार कहती है कि किसान FDI को अपना माल ऊँचे मूल्य पर बेच कर शोषण
मुक्त हो जाएगा ,क्या FDI समर्थित मूल्य से ऊपर दाम किसानो को देगा ?भारत की खेती
छोटे-छोटे भूमि के टुकडो में बँटी हुई है।ज्यादातर किसानो के पास पाँच -सात एकड़ जमीन
भी नहीं है।यदि एक एकड़ में तीन से चार बोरी गेंहू का उत्पादन मान लिया जाए तो 20-25
बोरी गेंहू किसान की पैदावार हुयी ,उसमे से किसान अपने उपयोग के लिए 10-12 बोरी गेंहू
रख लेता है और बाकी बाजार में बेचता है तो क्या FDI गाँव-गाँव जाकर वह धान लेगी ?
हर खेत की उपज का दाना अलग-अलग होता है ,क्या FDI सबके अलग-अलग किस्म के
धान को ऊँचे भाव में खरीद पाएगी?अगर नहीं तो फिर उस धान को कौन खरीदेगा ?बिचोलिये
को तो आप खत्म कर देंगे!
सरकार कहती है किसान की फसल का 30-35%भाग वर्तमान में नष्ट हो जाता है।
कैसे हो जाता है ?जो किसान दिन रात मेहनत करके सोना उपजाता है वह उसे नष्ट होने देगा ?
किसान की फसल में प्रमुख रूप से चावल,गेंहूँ मक्का,बाजरा,जीरा,सरसों,चना,मुंग आदि दाले
आती है ,क्या ये फसलें सड़ के खराब हो जाती है?.....फिर क्यों अनर्गल बातें की जाती है।
किसान सब्जियों में आलू,प्याज,लहसुन बड़ी मात्रा में पैदा करता है उसको सहेजने के लिए
कोल्ड स्टोरेज गाँव-गाँव में चाहिए,क्या FDI गाँव-गाँव में कोल्ड स्टोरेज का निर्माण करेगी
और कहेगी -हे किसान!तुम कोल्ड स्टोरेज में अपनी फसल रख लो और जब सही भाव आये
तब बेच लेना!! जो काम सरकार को करना चाहिए वह तो हो नहीं रहा और हम दूसरों के भरोसे
देश को छोड़ देना चाहते हैं।
सरकार कहती है कि कोई नुकसान देश को नहीं होगा,देश की तरक्की होगी FDI के
आने से ?क्या FDI कोई परोपकारी संस्था है जो अपने देश का धन भारत में लुटाने आयेगी ?
FDI भारत से कमा कर अपने देश में धन ले जाने के लिए आएगी। FDI की दुकाने हर गली
नुक्कड़ में नहीं लगने वाली है इसलिए सब खुदरा व्यापारियों को नुकसान नहीं होगा,यह
सरकार कहती है,मगर 100/-के पिज्जा बर्गर की होम डिलेवरी करने वाली FDI 1000/-के
सामान की होम डिलेवरी नही करेगी?कीमतों को डम्पिंग करके छोटे किराना को नहीं डकार
जायेगी?
हमारा ही आलू ,हमारा ही प्याज,हमारा ही आटा , मैदा ,हमारे ही आदमी उनका सिर्फ
बनाने का तरीका और उसके बदले में ले लिया चोखा नफा ...यह है FDI .
No comments:
Post a Comment