गांधी जी ने आजादी से पहले ही अपने देश में ऊर्जा के खत्म होते जा रहे संसाधनों पर चिंता व्यक्त की थी. उनका कहना था कि
धरती, मानव जाति की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है न कि हर व्यक्ति के लालच को पूरा के लिए - महात्मा गांधी
आज उनकी यह बात सच साबित हो रही है.
एक अमेरिकी कहावत है कि “पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से नहीं मिली है, हम अपने बच्चों से इसे उधार लेते हैं” जिसे
अगर हम ऊर्जा से जोड़ कर देखें तो इसका मतलब निकलता है जिन ऊर्जा के
स्त्रोतों का आज हम इस्तेमाल कर रहे हैं वह दरअसल हमारे पूर्वजों द्वारा
हमें दिया गया उपहार नहीं बल्कि आने वाले कल से हमारे द्वारा मांगा गया
उधार है.
तो क्या आप भी उधार की जिंदगी जी रहे हैं जानिएं एक कड़बा सच
ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्त्रोत, ऊर्जा के पारंपरिक स्त्रोत
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