गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर कोई कुछ बोले
लेकिन जब बात 2014 की होती है तो मोदी का जिक्र खुद ब खुद आ जाता है। कांग्रेस में
राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाकर नंबर दो की पोजीशन में बैठा दिया जाता है तो 2014
में मोदी बनाम राहुल पर चर्चा होती है। सोशल नेटवर्किंग साईट्स से लेकर तमाम ओपिनियन
पोल मोदी बनाम राहुल पर केन्द्रित दिखाई दे रहे हैं और भाजपा के लिए खुशी की वजह हो
सकती है कि मोदी हर जगह राहुल गांधी पर भारी दिखाई देते हैं हालांकि कांग्रेसी
इससे इत्तेफाक नहीं रखते लेकिन इससे मुंह मोड़ना कांग्रेसियों के लिए इतना आसान भी
नहीं है।
ऐसे में केन्द्र की सत्ता में वापस लौटने को बेताब दिखाई दे
रही भाजपा मोदी को निकट भविष्य में इलेक्शन कैंपेन कमेटी का प्रभारी नियुक्त कर दे
तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। ये बात सही है कि मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय होने के
बावजूद एनडीए के साथ ही भाजपा में भी फिलहाल सर्व स्वीकार्य नेता नहीं हैं लेकिन इस
बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मोदी फिलहाल राष्ट्रीय राजनीति में न होकर
भी तमाम राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय नेताओं पर भारी पड़ते हैं।
मोदी के दामन में गोधरा का दाग जरूर है लेकिन गुजरात को बिना
रूके विकास के पाथ पर आगे ले जाने का श्रेय भी मोदी के ही पास है। हालिया विधानसभा
चुनाव में गुजरात की जनता ने इस पर मुहर लगाकर इस बात को साबित भी कर दिया है कि
वे उसी का साथ देंगे जो विकास की बात करेगा।
2014 के मद्देनजर मोदी को भाजपा अगर इलेक्शन कैंपेन कमेटी का
प्रभारी नियुक्त करती है तो इससे न सिर्फ मोदी का कद पार्टी में और बढ़ जाएगा
बल्कि ये संकेत भी होगी कि भाजपा ये मान चुकी है कि मोदी के बिना 2014 फतह करना
आसान नहीं है। महंगाई, भ्रष्टाचार और घोटालों के साथ ही आर्थिक मोर्चे पर यूपीए 2
सरकार के कई फैसलों के खिलाफ जनता की नाराजगी के बावजूद भी 2014 की राह भाजपा के
लिए इतनी आसान नहीं है जितनी वास्तव में दिखाई दे रही है लेकिन माना भाजपा 2014
फतह कर भी लेती है तो सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होगा कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा..?
जाहिर है प्रधानमंत्री भाजपा का ही होगा और नरेन्द्र मोदी का
नाम दूसरे नामों से बहुत आगे है लेकिन मोदी के नाम को लेकर भाजपा में अंतर्विरोध
छिपा नहीं है ऐसे में एनडीए से पहले भाजपा को पूरी पार्टी को मोदी के नाम पर एकमत
करना होगा जो काम आसान तो नहीं है लेकिन बहुत मुश्किल भी नहीं है मतलब मोदी के नाम
पर भाजपा में सहमति बन सकती है..! लेकिन भाजपा की मुश्किल यहीं आसान नहीं हो जाती क्योंकि पार्टी
के बाद एनडीए में मोदी के नाम पर सर्वसम्मति बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी।
यहां पर एनडीए का मुख्य घटक जद यू ही मोदी की राह में सबसे
बड़ा रोड़ा है...बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मोदी की खटपट किसी से छिपी
नहीं है ऐसे में भाजपा के लिए पीएम की कुर्सी के लिए मोदी के नाम पर जद यू को राजी
करना ही होगा..!
बहरहाल 2014 में जनता किसका साथ देगी और देश का अगला
प्रधानमंत्री कौन बनेगा ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन तमाम ओपिनियन पोल और
सोशल नेटवर्किंग साईट्स में सिर्फ दो ही नाम चर्चा में हैं...नरेन्द्र मोदी और
राहुल गांधी। इन दोनों नामों में भी नरेन्द्र मोदी राहुल गांधी को पीछे छोड़ते नजर
आ रहे हैं।
deepaktiwari555@gmail.com
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