25.1.13
शिंदे प्रकरण के बहाने, भाजपा ने बढ़ा दिया जोरदार राजनीतिक टकराव
भाजपा नेतृत्व एक बार फिर आक्रामक तेवरों में आ गया है। इस बार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं केंद्रीय गृहमंत्री सुशील शिंदे पर हल्ला बोल दिया गया है। उनके एक विवादित बयान को लेकर पार्टी ने ‘निर्णायक’ अभियान चलाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पार्टी का अध्यक्ष पद संभालते ही राजनाथ सिंह, इस मुद्दे पर एकदम अक्खड़ तेवरों में नजर आने लगे हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि यदि प्रधानमंत्री, शिंदे को बर्खास्त नहीं करते, तो पार्टी का राष्ट्रव्यापी विरोध अभियान आर-पार की लड़ाई में बदल जाएगा। यह संघर्ष सड़क से संसद तक पहुंचेगा। जब तक शिंदे के बयान पर प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी माफी नहीं मांगेंगे, तब तक संसद नहीं चल पाएगी।
पार्टी के नए अध्यक्ष ने इतने तीखे तेवर दिखाए, तो दूसरे दिग्गज नेताओं ने भी कांग्रेस नेतृत्व एवं यूपीए सरकार को अल्टीमेटम देना शुरू कर दिया है। जबकि शुरुआती हिचक के बाद एक बार फिर तमाम दिग्गज कांग्रेसी, शिंदे के बचाव में खड़े हो गए हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री वी. नारायण सामी ने कह दिया है कि गृहमंत्री सुशील शिंदे माफी नहीं मांगेंगे। क्योंकि उन्होंने जयपुर में जो कुछ कहा था, वह तथ्यों के आधार पर कह दिया था। अब भाजपा के लोग एक गैर-मुद्दे पर विरोध अभियान चला रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा का यह रवैया जिम्मेदाराना नहीं माना जा सकता। जबकि, सर्वविदित है कि कांग्रेस देश की धर्म-निरपेक्ष पार्टी है। उनकी पार्टी सभी धर्मों का आदर करती है। ऐसे में, भाजपा के लोग जानबूझकर सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाने में जुट गए हैं। इससे कांग्रेस दबाव में आने वाली नहीं है।
बुधवार को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राजनाथ सिंह की ताजपोशी हुई थी। लेकिन, अगले दिन ही वे एक आक्रामक आंदोलनकारी बने नजर आए। शिंदे के बयान को लेकर पार्टी ने कल देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन कर डाले। राष्ट्रीय राजधानी में भी शिंदे के खिलाफ जमकर बयानबाजी हुई। जंतर-मंतर की सभा में राजनाथ सिंह ने अल्टीमेटम दे डाला कि यदि कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले में भूल सुधार नहीं की, तो यह बात काफी आगे बढ़ जाएगी। क्योंकि, पार्टी के लाखों कार्यकर्ता गृहमंत्री के बयान से बुरी तरह आहत हैं। ऐसे में, जरूरी है कि उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने तो सवाल किया कि क्या भाजपा के सांसदों के रूप में संसद के अंदर आतंकवादी बैठ गए हैं? इस बात का जवाब गृहमंत्री शिंदे दें। क्योंकि, उन्होंने जयपुर में यही कहा था कि भाजपा और संघ के प्रशिक्षण शिविरों में हिन्दू आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे में, गृहमंत्री बताएं कि वे इस तरह की बात करके पाकिस्तान सहित दुनियाभर में क्या संदेश देना चाहते हैं? उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जयपुर में कांग्रेस ने एक चिंतन शिविर आयोजित किया था। इसी दौरान गृहमंत्री शिंदे ने हिन्दू आतंकवाद का विवादित बयान दिया था।
बाद में, जब बवाल बढ़ने लगा, तो उन्होंने इतनी ही सफाई दी कि उनका आशय भगवा आतंकवाद से ही रहा है। क्योंकि मालेगांव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस विस्फोट और मक्का मस्जिद जैसे कांडों में उग्र हिन्दुत्ववादी ही साजिशकर्ता थे। इनमें से कई गिरफ्तार हो चुके हैं। इनके रिश्ते संघ के बड़े नेताओं से पाए गए हैं। गृहमंत्री के रूप में उनकी जानकारी में इन सब मामलों की रिपोर्ट आई है। इसी के चलते उन्होंने टिप्पणी की है। चूंकि, बात तथ्यों के आधार पर की है, ऐसे में बयान को वापस लेने की जरूरत वे नहीं समझते। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी कह चुके हैं कि पार्टी का नजरिया है कि वह आतंकवाद को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखती। उसका मानना है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवाद, तो सिर्फ आतंकवाद होता है। पार्टी महासचिव की इस सफाई के बाद भी भाजपा नेतृत्व का गुस्सा शांत नहीं हुआ है।
अब भाजपा नेतृत्व ने शिंदे के बहाने कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक मुहिम तेज करने की तैयारी कर ली है। इसी रणनीति के तहत कल दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किए। चंडीगढ़ में तो प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन चलाने की जरूरत पड़ गई। इस घटना के बाद वहां राजनीतिक टकराव और बढ़ गया है। केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने अपने गृहमंत्री के बचाव में कह डाला था कि विस्फोट की तीन-चार आतंकी घटनाओं में ऐेसे 10 लोगों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने इस आतंकी कारनामे का तानाबाना बुना था। ये लोग विचारधारा के तौर पर संघ के धुर समर्थक हैं। कई बड़े नेताओं से इन लोगों के नजदीकी रिश्ते भी हैं। ये सब जानकारियां गहन पड़ताल के बाद सामने आ गई हैं। दरअसल, गृह सचिव ने यह विवरण देकर जताने की कोशिश की कि उनके गृहमंत्री शिंदे ने जयपुर में जो टिप्पणी की थी, वह कोरी लफ्फाजी भर नहीं थी। गृह सचिव की टिप्पणी से भी भाजपा के नेता ज्यादा बिफर गए हैं।
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी कहते हैं कि गृह सचिव आर के सिंह तो किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता की भूमिका में नजर आने लगे हैं। उचित मौके पर ऐसे अधिकारियों की भी खबर ले जी जाएगी। गडकरी, कल अपने गृह नगर नागपुर में थे। उन्होंने यहां पर इनकम टैक्स के उन अधिकारियों को भी धमकी दे डाली, जिन्होंने ऐन मौके पर छापे डालकर उनकी राजनीतिक फजीहत करा डाली। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को इनकम टैक्स के अधिकारियों ने गडकरी से जुड़ी रही कुछ विवादित कंपनियों के ठिकानों पर छापे डाले थे। इसी के चलते ऐन मौके पर अध्यक्ष पद की मिलने जा रही कुर्सी उनके हाथ से फिसल गई। उनकी जगह राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बना दिया गया है। दिल्ली से गडकरी नागपुर पहुंचे, तो उन्होंने खुलकर कह डाला कि केंद्र में भाजपा की सरकार आ गई, तो इनकम टैक्स के वे अधिकारी कहां छिपेंगे, जिन्होंने उनके यहां एक साजिश के तहत छापे डलवाए थे। क्योंकि, तब पी. चिदंबरम और सोनिया गांधी उन्हें बचाने के लिए नहीं होंगे। छापों से खींझकर गडकरी ने जिस तरह की धमकी दे डाली है, उससे भाजपा के कुछ बड़े नेता भी असहज दिखाई पड़े।
जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री वी. नारायण सामी ने कह दिया है कि किसी की धमकी से इनकम टैक्स या सीबीआई के अधिकारी दबाव में नहीं आने वाले। ऐसे में, भाजपा नेताओं को अपनी लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। यह उनके ही हित में है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह यह बात लगातार दोहरा रहे हैं कि यदि समय रहते कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने माफी नहीं मांगी, तो संसद का बजट सत्र चलना मुश्किल हो जाएगा। इस अल्टीमेटम के बाद भी कांग्रेस के नेता नरम नहीं पडेÞ हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कह दिया है कि यदि वे चाहते हैं कि शिंदे माफी मांगे, तो पहले राजनाथ, उमा भारती और लालकृष्ण आडवाणी भी अपने एक कृत्य के लिए पूरे देश से माफी मांगे। क्योंकि इन लोगों ने आतंकी घटना में शामिल रहीं प्रज्ञा ठाकुर से जेल में जाकर मुलाकात की थी। ये लोग पहले देश को बताएं कि बम-विस्फोट कराने वालों से उनके क्या रिश्ते हैं? दिग्विजय सिंह के इस जोरदार कटाक्ष ने राजनीतिक टकराव को और हवा दे दी है।
वीरेंद्र सेंगर
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