तुम किस पंक्ति में हो ?
एक आदमी नगर के विद्वान के पास बैठा युग के पतन पर गहरी चिंता कर रहा था।उसने
विद्वान् से कहा- देखो,हमारे परम्परागत मूल्यों का ह्रास हो रहा है।
विद्वान ने कहा- सही बात है।
उस आदमी ने कहा- ज्यादातर लोग उदात्त भावना खोते जा रहे हैं।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-लोग भ्रष्ट और अनैतिक होते जा रहे हैं।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-हमारा कानून गतिहीन या पंगु हो गया है।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-हमारे नेता भी आदर्शों का अनुकरण नहीं कर रहे हैं और सत्ता लोभी
हो गए हैं।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा- गुरु और शिक्षक भी लोभी और असंस्कारी हो गए हैं।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-नारी भी पाश्चात्य रंग में रंग के लज्जा के भूषण को छोड़ रही है।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-व्यापारी मुनाफाखोर और मिलावटी सामान बेच रहे हैं।
विद्वान ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-प्रशासनिक अधिकारी कामचोर और रिश्वत लेने वाले हो गए हैं।
उस आदमी ने कहा-सही बात है।
उस आदमी ने कहा-आप मान रहे हैं कि ये सब सही है परन्तु इन बुराइयों से समाज को
मुक्त कैसे करे ?क्या आपके पास कोई समाधान ने है।
विद्वान ने कहा- हाँ ,मेरे पास उपयुक्त समाधान है ।
वह व्यक्ति खुश होकर बोला -हमे वह उपाय शीघ्र बताएं ताकि हम समाज को बदल सके?
विद्वान बोला - उपाय बताने से पहले मैं एक बात तुमसे जानना चाहता हूँ ?
वह व्यक्ति बोला -पूछिये ?
विद्वान बोला -इन सब में आप खुद को किस पंक्ति में पाते हैं?
वह व्यक्ति विद्वान के प्रश्न को सुनकर कुछ देर चुपचाप बैठा रहा और फिर सर झुका कर
चलता बना।
No comments:
Post a Comment