भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
7.1.13
चक्रव्यूह
"समझौते तो कर लिए जिंदगी से, खुशी की आस छोड़ न सका,
रिश्ते कई यूँ ही जुड़ गये, पर उनको बुनियाद से जोड़ न सका,
औरों को रस्ता बतला देना तो बहुत ही आसान होता है 'दीपक',
खुद अपनी जिंदगी के चक्रव्यूह का भेद आज तक तोड़ न सका!"
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