हरियाणा के जेबीटी घोटाले
में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला…उनके बेटे अजय चौटाला और दो आईएएस अधिकारियों
को 10 -10 साल की सजा और दूसरे छोटे बड़े 51 अधिकारियों को सजा सिर्फ भ्रष्टाचार
के मामले में दोषियों के सजा नहीं है बल्कि ये सीबीआई कोर्ट का ये फैसला एक नजीर
है उन लोगों के लिए जो पैसे और ताकत के बल पर कानून को अपनी बपौती समझते हैं और आम
जनता की गाढ़ी कमाई को भ्रष्टाचार और घोटालों में हजम कर जाते हैं। 1999-2000 में हुए
इस घोटाले में फैसला आने में भले ही 13 साल का लंबा वक्त लग गया लेकिन यहां से
भारतीय न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों में उम्मीद की एक नई किरण भी जगी है। हरियाणा
के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौटाला और भिवानी से उनके सासंद बेटे ने शायद ये कभी नहीं
सोचा होगा कि उनका एक दिन ये हश्र होगा। अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए
जेबीटी घोटेले में 3206 शिक्षकों से इन लोगों ने उनकी हैसियत के हिसाब से 3 से 7
लाख रूपए तक वसूल कर जमकर वारे न्यारे किए। ये तो वो घोटाला है जो खुल गया...इसके
अलावा क्या चौटाला ने और घोटालों को अंजाम नहीं दिया होगा..? जाहिर है ऐसे
कितने ही घोटाले चौटाला ने चार बार हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते हुए अंजाम दिए
होंगे..! खैर जो घोटाला
उजागर हुआ उसमें चौटाला समेत 55 लोगों को दोषी सजा का एलान होना अपने आप में बड़ी
बात है क्योंकि अमूमन भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोप से घिरे मामले या तो कोर्ट
में सालों से लंबित पड़े हैं या फिर अधिकतर मामलों में सबूतों के अभाव में
भ्रष्टाचारी आसानी से बच निकलते हैं। इस घोटाले में दो आईएएस समेत 51 छोटे बड़े
अधिकारियों को भी सजा सुनाई गई है जो कहीं न कहीं ऐसे सरकारी अधिकारियों और
कर्मचारियों के लिए भी एक सबक हैं जो कई बार भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं या
घोटालों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं लेकिन कई बार आसानी से
बच निकलते हैं। किसी राज्य का मुख्यमंत्री या फिर उसके मंत्री या विभिन्न पदों पर
आसीन कोई नेता अगर भ्रष्टाचार कर रहा है या घोटाले को अंजाम दे रहा है तो ऐसा तो
संभव नहीं है कि संबधित विभाग के मुखिया या विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को
इसकी भनक न लगे कि यहां कुछ गड़बड़ हो रही है..! कई बार गडबड़ी से भरी फाइलें इन अधिकारियों
और कर्मचारियों की टेबल से गुजरती होंगी लेकिन ये लोग सब कुछ जानकर भी अंजान बने
रहते हैं और कई बार जानबूझकर विभागीय अधिकारी गड़बड़ी भरी फाइलों पर दस्तखत कर
भ्रष्टाचार और घोटाले का मार्ग प्रशस्त करते हैं...लेकिन इसके खिलाफ आवाज कोई नहीं
उठाता...जाहिर है इनका दामन भी पाक साफ नहीं है..! ये लोग अगर ईमानदारी से काम करें तो भ्रष्टाचार
को कम करना और घोटालों को होने से रोकना संभव है लेकिन अफसोस ऐसा नहीं होता। हालांकि
इसके लिए एक आम आदमी भी उतनी ही जिम्मेदार है जितना कि ये लोग क्योंकि वे लोग भी
अपने कामों के लिए रिश्वत देने से परहेज नहीं करते। जेबीटी घोटाले में भर्ती हुए
शिक्षकों का नौकरी के लिए रिश्वत देना इसका प्रमाणित भी करता है। कोर्ट को ऐसे
लोगों को भी कड़ी सजा सुनानी चाहिए जिन्होंने नौकरी के लिए रिश्वत दी और भर्ती
होने के बाद मजे से सरकारी तनख्वाह पर ऐश कर रहे हैं। इन्होंने रिश्वत देकर अपना वर्तमान
और भविष्य तो बना लिया लेकिन ये स्कूलों में बच्चों का भविष्य खराब कर
रहे हैं। जिस शिक्षक ने रिश्वत देकर नौकरी पाई हो वो बच्चों को क्या सीख देगा..?
deepaktiwari555@gmail.com
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