11.2.13

कब तू पास बुलाती है .....

कब तू पास बुलाती है .....

मेरे दिल की चाहत,  तेरा इकरार चाहती है।
उल्फत के अल्फाज,तुझ से सुनना चाहती है।

ये होंठों की मुस्कान,प्यार का रंग लगाती है।
पल पल आकर पास,रात की नींद चुराती है।

ये दौ कजरारी आँख,इश्क का दीप सजाती हैं।
चुपचाप मेरे दिल को, तेरा पैगाम सुनाती है।


ये पायल की झंकार,प्यार का गीत सुनाती है।
रुन झुन की आवाज,मेरे ही नाम की आती है।


ये साँसों की सरगम, नेह का राग सुनाती है।
मैं करता हूँ इन्तजार,कब तू पास बुलाती है।


                                                                                                      (छबि गूगल से साभार )

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