मुजफ्फरपुर
जिला अंतर्गत मीनापुर प्रखंड के मानिकपुर गाँव की साहसी, बहादूर महिला
बच्ची देवी पर यह उक्ति चरितार्थ होती है। बच्ची देवी उस व्यक्तित्व का नाम
है, जिसने विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। समय के क्रूर थपेड़े ने
भी उसे नहीं डिगाया। तीन-तीन मासूमों को उसके गोद में डाल पति काल के गाल
में समा गए। चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा। पति द्वारा छोड़े गए बंजर जमीन और
लीची की बागवानी को उसने पूंजी बनाई और चल पड़ी अपनी मंजिल की ओर। आज वह
स्वयं खेतों में काम करती है, अनाज उपजाती हैं, सब्जियों की खेती करती हैं।
आज वह झोपड़ी में नहीं, ईंट का पक्का मकान उसके पास है। अनाजों से भरा पूरा
भंडार है। उसके बच्चे निजी स्कूल में पढ़ने जाते हैं। उसके पास सब कुछ है
केवल घमंड छोड़कर। उसने अपने काम को कभी प्रतिष्ठा नहीं बनाया। वह सब्जी
लेकर हाट-बाजार स्वयं जाती हैं। सभी प्रकार के लेन -देन का काम स्वयं करती
है। समाज के लोग भी उसकी हिम्मत की दाद देते हैं। उसके द्वारा उठाये गए
कदमों की प्रशंसा करते हैं। सच ! वह शक्तिस्वरूपा देवी है। हम कमजोर
नारियों के लिए आदर्श हैं। जिंदगी के जंग में सफल होनेवाली इस देवी को
शत-शत नमन!
(स्नेहलता केजीबीवी में शिक्षिका हैं। हमने इनके लिखे
लेख को हूबहू प्रकाशित किया है। अप्पन समाचार की ओर से इन्हें एवं स्कूल
की छात्राओं को लगातार मीडिया का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। )
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