जैसे तैसे
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा भी अपने जैसे तैसे कारनामों को लेकर ही
चर्चा में हैं..! चाटुकारिता की हदें पार करने पर पहले ही दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल
गांधी की फटकार खा चुके बहुगुणा को लगता है राज्य की जनता से कोई सरोकार नहीं है..! है। राहुल गांधी की
नसीहत का भी लगता है विजय बहुगुणा पर कोई असर नहीं हुआ जिसमें राहुल ने बहुगुणा को
अपने काम में ज्यादा ध्यान लगाने को कहा था..!
तभी तो बहुगुणा
सरकार एक तरफ रसोई गैस पर दी जा रही 5 प्रतिशत वैट की छूट को वापस लेकर राज्य की
जनता पर महंगाई का अतिरिक्त बोझ डालती है लेकिन शराब के दामों पर 20 प्रतिशत की
वैट पर छूट दे देती है। बहुगुणा सरकार के इस फैसले से तो ऐसा लगता है जैसे उत्तराखंड
की जनता के लिए रसोई गैस से ज्यादा जरूरी शराब है..! रसोई गैस के मुद्दे
पर ही मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा को टिहरी उपचुनाव में करारी
हार का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को शायद ये
बात समझ में नहीं आई..!
दरअसल बहुगुणा
कैबिनेट ने 26 फरवरी 2013 को कैबिनेट की बैठक में नई आबकारी नीति 2013-14 को मंजूरी
दे दी। इसके तहत बहुगुणा सरकार ने बीते साल के मुकाबले शराब की बिक्री से 150
करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है। देखा जाए तो वैट में छूट से
सरकार को राजस्व में नुकसान झेलना पड़ेगा लेकिन सरकार के तारणहारों ने शराब को
सस्ती कर “कम कीमत, ज्यादा बिक्री” का फार्मूला अपनाया है। इनका सोचना है की
शराब सस्ती होगी तो शराब की ज्यादा बिक्री होगी और सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी
होगी..!
बहुगुणा सरकार का
ये फैसला सीधे तौर पर राज्य की जनता के साथ मजाक नहीं तो और क्या है..?
एक तरफ शराब के
श्राप से त्रस्त खासकर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की महिलाएं शराबबंदी के खिलाफ लामबंद
होकर आंदोलन करती हैं तो दूसरी तरफ सरकार शराब सस्ती कर इसे बढ़ावा देने का काम कर
रही है..! सरकार को महंगाई के
बोझ तले दबी जनता की फिक्र नहीं लेकिन शराब माफियाओं और शराबियों की खूब फिक्र है..!
लोगों के घर में
रसोई गैस न होने से चूल्हा जले न जले लेकिन सरकार को फिक्र है कि लोगों को सस्ती
शराब कैसे उपलब्ध कराई जाए..!
सरकार रसोई गैस में
वैट में 5 प्रतिशत की छूट सिर्फ इसलिए वापस ले लेती है कि सरकार को नुकसान उठाना
पड़ रहा है लेकिन शराब में वैट में 20 प्रतिशत की छूट देने में सरकार को कोई
परेशानी नहीं है।
बहुगुणा साहब को
पहाड़ के लोगों की पहाड़ सी दिक्कतें नहीं दिखाई देतीं..! टूटी हुई सड़कें
नहीं दिखाई देती..! पेयजल किल्लत नहीं दिखाई देती..! रोजगार की तलाश में
वीरान होते गांव के गांव नहीं दिखाई देते लेकिन शराब माफियाओं के हित सरकार को खूब
दिखाई देते हैं।
वैसे भी एक साल के
कार्यकाल में राज्य के विकास के लिए..राज्य के लोगों के विकास के लिए कुछ कर पाने
में नाकाम रहे बहुगुणा साहब शायद यही चाहते हैं कि शराब पियो और मस्त रहो..! वाह रे बहुगुणा..!
deepaktiwari555@gmail.com
बहुत अच्छा लिखा है पहाड के महिलाओ के लिए परेशानियों का सबब है इस तरह के निर्णय । पहाड में बहुत से परिवार शराब की वजह से बरबाद हुए है ।नशा नही रोजगार जैसे आन्दोलनों के बावजूद पहाडवासियों को सस्ती शराब उपलब्ध है क्यों न हो अपनी तकलीफे कैसे भुलायेगे?
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