9.3.13

अधिकांश मूर्ख और घमंडी अधिकारी स्वयं को आज भी किसी खुदा से कम नही समझते हैं।


मित्रों पिछले कुछ दिनों से महिलाये और उसमें भी विशेष रुप से दिल्ली की महिलाओं ने शोषण उत्पीडन का जो दौर
देखा है उसके समापन की कोई संभावना दूर-दूर तक दिखायी नहीं पड रही।१६ दिसंबर की शर्मनाक घटना के बाद जिस तरह से नारी उत्पीडन की घटनायें सामने आयीं उसमें नया प्रकरण आकाशवाणी दिल्ली का है।आकाशवाणी एफ एम चैनल के एक प्रस्तोता के साथ पिछले दिनों उसके एक सहकर्मी ने दुरएव्यवहार किया और जब उस महिला ने अपने 'बास' से एस घटना की शिकायत की तो उन्होने कहा--"इसमें बुरा मानने जैसी क्या बात है? आगे बढने के लिये तो ये सब करना ही पडता है।मेरी पत्नी तो कहती है कि 'हग' करने तक तो कुछ भी आपत्तिजनक नहीं होता।"
पीडिता ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से भी कर दी है और एक उच्चस्तरीय कमेटी इस घटना की जांच के लिये गठित की जा चुकी है पर ये श्रीमान जी इस सबसे बेपरवाह कल भी आफिस टाइम में 'इंडिया इंटरनेशनल' में एक कार्यक्रम में विराजमान थे।उनके आश्वस्त और बेपरवाह होने का कारण भी है क्योंकि उनके फेवरिट १२ साहित्यकारों का वरद हस्त जो उन पर है।
भ्रष्टाचार,कदाचार और अनाचार का गढ ब चुके आकाशवाणि और दूरदर्शन भले ही जनता के गाढे पैसे  से चलते हों पर इनमें बैठै इनके अधिकांश  मूर्ख और घमंडी अधिकारी स्वयं को आज भी किसी खुदा से कम नही समझते हैं।कुर्सी पर बैठने के बाद कुर्सी का निजी हितों के लिये उपयोग करते हुये ना तो इन्हें पहले कभी शर्म आयी थी और कभी आयेगी इसकी संभावना हाल-फिलहाल तो दिखायी नहीं पडती।

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