10.3.13

वसुंधरा से ज्यादा अपनों की बेवफाई से दुखी हैं तिवाड़ी

बुरी तरह से रूठे भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी ने देव दर्शन यात्रा की शुरुआत के दौरान जिस प्रकार नाम लिए बिना अपनी ही पार्टी के कई नेताओं पर निशाना साधा, उससे साफ है कि वे नई प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे से तो पीडि़त हैं ही, वसुंधरा के खिलाफ बिगुल बजाने वालों के साथ छोड़ जाने से भी दुखी हैं।
वसुंधरा का नाम लिए बिना उन पर हमला बोलते हुए जब वे बोले कि राजस्थान को चरागाह समझ रखा है तो उनका इशारा साफ था कि उन जैसे अनेक स्थानीय नेता तो बर्फ में लगे पड़े हैं और बाहर से आर्इं वसुंधरा उनकी छाती पर मूंग दल रही हैं। वसुंधरा और पार्टी हाईकमान की बेरुखी को वे कुछ इन शब्दों में बयान कर गए-लोग कहते हैं कि घनश्यामजी देव दर्शन यात्रा क्यों कर रहे हैं? घनश्यामजी किसके पास जाएं? सबने कानों में रुई भर रखी है। न कोई दिल्ली में सुनता है, न यहां। सारी दुनिया बोलती है उस बात को भी भी नहीं सुनते।
अब तक वसुंधरा राजे खिलाफ मुहिम चलाने वाले साथियों पर निशाना साधते हुए वे बोले कि जिन लोगों ने गंगा जल हाथ में लेकर न्याय के लिए संघर्ष करने की बात कही थी, वे भी छोटे से पद के लिए छोड़ कर चले गए। उनका सीधा-सीधा इशारा वसुंधरा राजे की कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बने अरुण चतुर्वेदी व औंकार सिंह लखावत और नेता प्रतिपक्ष बने गुलाब चंद कटारिया की ओर था। इसकी पुष्टि उनके इस बयान से होती है कि मेरे पास भी बहुत प्रलोभन आए हैं, पारिवारिक रूप से भी आए हैं, अरे यार क्यों लड़ते हो, आपके बेटे को भी एक टिकट दे देंगे। आप राष्ट्रीय में बन जाओ, उसे प्रदेश में बना दो। हमारी पारिवारिक लड़ाई नहीं है, हजारों कार्यकर्ताओं की लड़ाई है, जो सत्य के लिए लड़ रहे हैं। वे कार्यकर्ताओं की हमदर्दी भुनाने के लिए यह भी बोले कि जो बेईमान, चापलूस, भ्रष्ट हैं वो ऊपर हैं, जो कार्यकर्ता हैं वो नीचे हैं।
खुद को मानते हैं संस्कृति का पोषक
तिवाड़ी ने खुद को और नेताओं से ऊपर बैठाते हुए कहा कि हम विधायक दल की बैठक में बैठे थे, हमें सूचना दी गई कि राज्यपाल विधानसभा में अंग्रेजी में भाषण करेगी, अपने को विरोध नहीं करना है। तब मैंने उसी समय खड़े होकर कहा था, कि 199 एमएलए भी पक्ष लेंगे तो तिवाड़ी हिंदी में भाषण कराएगा। समर्थन करेंगे तो भी तिवाड़ी हिंदी में भाषण की मांग करेगा। हम भाजपा में हैं, भाजपा में रहेंगे लेकिन कोई हिंदी और संस्कृति को समाप्त करने का कोई प्रयास करेगा, वह बर्दाश्त नहीं होगा। तब मैंने कहा था कि जिसको न निज देश का अभिमान है वह नर नहीं निरा पशु समान। अंग्रेजी पढ़ के सब गुण होत प्रवीण, निज भाषा ज्ञान के रहत हीन के हीन। हीन बनकर नहीं रहना चाहते। अर्थात भाजपा में अकेले वे ही बचे हैं, जिन्हें अपनी संस्कृति की पीड़ा है।
कांग्रेस के बराबर ला खड़ा किया
उन्होंने अपने उद्बोधन में भाजपा को कांग्रेस के बराबर ला खड़ा किया। शुचिता और सिद्धांतों की राजनीति करने वाली मौजूदा भाजपा पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि कोई कहे दाल में काला है, मैं तो कहता हूं इस राजनीति में तो पूरी दाल ही काली है। किसी भी पार्टी में जाकर देख लीजिए। जो बेईमान, चापलूस, भ्रष्ट हैं वो ऊपर हैं, जो कार्यकर्ता हैं वो नीचे हैं। जातिवाद का जहर फैलाया जा रहा है। यह सब क्यों किया जा रहा है?
एक पाटी के नेता ने कहा कि आप राजस्थान में कैसे हो, वो बोले एक घर राजस्थान में है, एक हिमाचल में। दोनों पार्टियों में यही स्थिति है। आजकल दोनों पार्टियों के नेताओं से पूछते हैं कि कितनी सीटें आएंगी तो कहते हैं 215 सीटें। 200 तो राजस्थान की है, बाकी प्रांतों से आने वाले 15 तो लाएंगे, यह स्थिति हो रही है राजस्थान की।
तब खुद भी तो चर रहे थे
उनके इस बयान पर खासा चर्चा हो रही है कि देव दर्शन में सबसे पहले जाकर भगवान के यहां अर्जी लगाऊंगा कि हे भगवान, हिंदुस्तान की राजनीति में जितने भी भ्रष्ट नेता हैं उनकी जमानत जब्त करा दे, यह प्रार्थना पत्र दूंगा। भगवान को ही नहीं उनके दर्शन करने आने वाले भक्तों से भी कहूंगा कि राजस्थान को बचाओ। राजस्थान को चारागाह समझ रखा है। सवाल उठता है कि जब वे राजस्थान को चरागाह समझने वालों के साथ चर रहे थे, तब उन्हें यह ख्याल क्यों नहीं आया कि राजस्थान लुटा जा रहा है?
-तेजवानी गिरधर

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