29
साल का वक्त छोटा
नहीं होता। 29 साल में लोगों की जिंदगियां बदल जाती है। 29 साल में एक बच्चा व्यसक
हो जाता है। वो स्कूल से निकलकर अपने रोजगार में जुट जाता है तो अपनी जीवन संगिनी
के साथ एक नये जीवन की शुरुआत कर लेता है। उसकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और वो
एक जिम्मेदार व्यक्ति बन जाता है लेकिन 29 सालों में कुछ लोगों के लिए कुछ भी नहीं
बदला।
उनके चेहरे पर झुर्रियां जरूर उभर आयीं
लेकिन चेहरे की झुर्रियां भी उनके दर्द को छुपा नहीं पायी। 29 साल से इंसाफ की
उम्मीद में जीवन का एक – एक पल अपनों को खोने के गम में काटने वाले 1984 के सिख
विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों के चेहरों को देखकर तो ऐसा ही लगता है।
दंगो में कांग्रेसी नेता जगदीश टाईटलर की भूमिका की जांच कर रही जिस सीबीआई पर
लोगों को भरोसा था कि उनके न्याय की लड़ाई में सीबीआई उनका साथ देगी उसी सीबीआई ने
जगदीश टाईटलर को क्लीन चिट देते हुए अदालत में मामले को बंद करने की अर्जी दे दी।
लेकिन अदालत ने न्याय की आस में जिंदा
लोगों को निराश नहीं किया और सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए दोबारा
से मामले की जांच के आदेश देते हुए कांग्रेसी नेता टाईटलर के खिलाफ केस चलाने के
आदेश दे दिया। लोगों के चेहरे में न्याय की उम्मीद की खुशी जरूर थी लेकिन मन में
ये सवाल भी था कि 29 साल बाद फिर से टाईटलर के खिलाफ केस चलेगा तो उन्हें इंसाफ कब
मिलेगा..? कितना
और वक्त इंसाफ मिलने में लगेगा..?
सवाल ये भी है कि जिस सीबीआई ने टाईटलर को
क्लीन चिट देते हुए अदालत में केस बंद करने की अर्जी दे दी वही सीबीआई अब फिर से
जांच करेगी तो कैसे ये जांच निष्पक्ष होगी..?
अदालत के फैसले से ये न्याय व्वस्था पर एक
बार फिर से विश्वास तो मजबूत हुआ है लेकिन सवाल भी कई खड़े हुए हैं। जाहिर है सीबीआई
ने अपना काम पूरी ईमानदारी से नहीं किया जिस वजह से टाईटलर बचते रहे और आखिरकार
कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया..!
1984 में सिख विरोधी दंगों के वक्त टाईटलर
की उम्र 40 साल थी। 29 साल बाद जब अदालत ने सीबीआई की अर्जी खारिज करते हुए टाईटलर
के खिलाफ दोबारा से केस चलाने का आदेश दिया है तो अब टाईटलर की उम्र 69 वर्ष है। टाईटलर
इन 29 वर्षों में कई बार केन्द्रीय मंत्री भी रहे और टाईटलर ने बड़े ही आराम से इस
वक्त को काटा लेकिन इसके उल्ट इंसाफ की आस लगाए बैठे दंगों के पीड़ितों के लिए ये
29 वर्ष किसी सजा से कम नहीं थे। अब फिर से सीबीआई मामले की जांच करेगी तो अंदाजा
लगाया जा सकता है कि कितना और वक्त सीबीआई मामले की दोबारा जांच में लेगी..? हो सकता है शायद तब तक टाईटलर की उम्र 80 से 85 वर्ष हो जाए या ऐसा भी
हो सकता है कि इस लंबे वक्त में टाईटलर की स्वाभाविक मौत हो जाए..!
इंसाफ की आस लगाए बैठे पीड़ित जो इन 29
सालों में जैसे तैसे अपनी लड़ाई लड़ते रहे…हो सकता है कि वे इंसाफ की आस में वे दम
तोड़ दें..! जगदीश टाईटलर के साथ ही पीड़ितों की उम्र का तकाजा तो कम से कम इसी ओर
ईशारा कर रहा है कि शायद ही जीते जी टाईटलर को सजा और पीड़ितों को इंसाफ मिले..!
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा होता है
कि लंबी और जटिल कानूनी प्रक्रिया के बाद अगर टाईटलर को सजा होती भी है तो क्या वाकई
में ये पीड़ितों के साथ इंसाफ होगा..?
टाईटलर के केस के बहाने एक बार फिर से
क्या भारतीय अदालतों में सालों से लंबित पड़े उन आधा करोड़ मामलों पर सोचने का
वक्त नहीं है कि क्यों न लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष कदम उठाएं जाएं..? (पढ़ें- चौटाला केस- भ्रष्टाचारियों के लिए
सबक)। हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने भी
इस पर चिंता जाहिर की है लेकिन सवाल फिर उठता है कि क्या ये चिंता सालों से न्याय
की आस लगाए बैठे लाखों लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आएगी..?
deepaktiwari555@gmail.com
आपकी यह पोस्ट आज के (०६ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDelete1984 !!!
ReplyDeleteAND AJJ 2014
SHARAM KARO ,,,, abhi takk insaaf nahi
congress wale sale choor hai choor,,,,,
indira gandhi ne shri darbar sahib amrutsar par hamla kar k bahut badi galti ki thi
ajj takk insaaf nahi
jo sikh india k liye hindu loog k liye apni jaan dete hai ajj wahi apne liye insaff mang maang karr roo rahe hai,,,shame on indian gvrnmnt
i m not a indian,,,i am a sikh