16.4.13


जनता द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से चर्चित हुयी चौपाल
हरवंश और नीता की लोकप्रियता पर लगा  सवालिया निशान
सिवनी। नवागत युवा कलेक्टर की छपारा में लगायी गयी रात्रि चौपाल सियासी हल्कों चर्चा का विषय बनी हुयी हैं। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह और विधायक तथा प्रदेश भाजपा की पूर्व महिला मोर्चे की अध्यक्ष नीता पटेरिया की उपस्थिति में आयोजित इस चौपाल में नागरिकों ने जन समस्याओं के प्रति जन प्रतिनिधियों की लापरवाही और गलती करने वाले अपनों को संरक्षण देने वालों को भी खूब आड़े हाथों लिया।
उल्लेखनीय है कि जिले के युवा कलेक्टर भरत यादव ने अपनी पहली रात्रि कालीन चौपाल ग्राम छपारा में विगत दिनों लगायी। लंबे समय से समस्याओं की अनदेखी के कारण लोगों में भारी आक्रोश था। सरपंच की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार से लोग लंबे समय से परेशान थे और शिकायतें करके थक गये थे। लेकिन कोई कार्यवाही ना होने से निराश हो गये थे। 
पिछले कई दिनों से लाइन कटने के कारण छपारा में पानी नहीं मिल रहा था। पंचायत की सरपंच की अनदेखी की शिकायत लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों से भी की थी। लेकिन राजनैतिक संरक्षण प्राप्त सरपंच के खिलाफ कोई कुछ करने को तैयार नहीं था। ब्लाक का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों विधायकों से भी लोगों ने फरियाद की थी। लेकिन नतीजा सिफर ही निकला।
जब यह पता कि जिले के कलेक्टर छपारा में चौपाल लगाने जा रहें हैं तो भारी संख्या में लोग वहां एकत्रित हो गये। उपस्थित जन समुदाय ने नवागत कलेक्टर के सामने ना केवल जम कर अपनी भड़ास निकाली वरन मौके पर मौजूद जन प्रतिनिधियों को भी आड़े हाथों लिया। लोगों का आरोप था कि सरपंच की लापरवाही के कारण लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं। 
ऐसा बताया जा रहा है चौपाल में मौजूद दोनों जनप्रतिनिधियों हरवंश सिंह और नीता पटेरिया को लोगों ने पूरी तरह दर किनार कर दिया था। लोगों का कहना था कि जिनको हमने चुना जब वो हमारी कोई सुध लेने को तैयार नहीं हैं तो भला उनसे फिर गुहार करने से क्या फायदा है? 
कांग्रेस के हरवंश सिंह और भाजपा की नीता पटेरिया दोनों ही प्रदेश स्तर नेता हैं। उनके अपने गृह नगर और क्षेत्र में किसी शासकीय कार्यक्रम जनता द्वारा उनकी उपेक्षा की जाना सियासी हल्कों में चर्चित हैं। अपने ही मतदाताओं से मिली इस उपेक्षा को भले ही ये नेता अनदेखा कर दें लेकिन राजनैतिक क्षेत्रों में यह चर्चा चालू हो गयी हैं कि इस घटना ने इंका और भाजपा के इन दोनों नेताओं की लोकप्रियता पर सवालिया निशान लगा दिया हैं। चुनावी साल में जनता का यह रुख नेताओं के लिये शुभ संकेत नहीं माना जा रहा हैं। 
सा. दर्पण झूठ ना बोले 
16 अप्रेल 2013 से साभार

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