20.4.13

माफ करना प्यारी गुड़िया हम शर्मिंदा हैं!

-नितिन सबरंगी
राजधानी दिल्ली में 5 साल की कोमल उम्र में गुड़िया रूह कंपा देने वाली हैवानियत का शिकार हो गई। घटना दम तोड़ती इंसानी संवेदनाओं का घिनौना चेहरा भर है। चमक-दमक के बीच कंकरीट के जंगलों में लगी भीड़ में इंसान तो हैं, लेकिन उनकी इंसानियत मर चुकी है ओर जो बची भी है वह कोढ़ग्रस्त है। दरिंदगी की शिकार हुई होनहार छात्रा दामिनी के मामले को भी नया-पुराना कहना बेमानी होगा क्योंकि ऐसी घटनाओं के दर्द उन परिवारों से पूछिए जो इससे रू-ब-रू
होते हैं। झूठी तसल्लियां उनके जख्मों को ओर भी दर्दनाक बनाती हैं। ऐसी घटनाओं के लिये किसी एक को दोषी नहीं बल्कि समूची व्यवस्था जिम्मेदार होती है। टूटती-बिखरती परम्पराएं, रिश्ते-नाते, जीवनशैली, मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता, विज्ञापनों में भावनाओं को भड़काने वाली कलाएं व ओर भी बहुत कुछ।  घटनाएं हमारे उस देश की हैं जहां कन्याओं पूजा जाता है, लेकिन क्या कोई दावे से कह सकता है कि नौ दिन तक चलने वाले आस्था के व्रतों में कन्याओं के भू्रण कत्ल व उन पर होने वाले अत्याचारों पर अंकुश लग जाता है।  ऐसी घटनाएं गुस्से के साथ सभी को शर्मसार करती हैं। लाख टके का सवाल वही कि आखिर कब तक?

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