12.6.13

भाजपा में टिकिट को लेकर मची भारी धमासान विस की चुनावी जंग में पड़ सकती है भारी
कांग्रेस के कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ का 13 जून को आगमन को हो रहा हैं। उनके इस कार्यक्रम के साथ ही प्रदेश कांग्रेस  से यह भी जानकारी दी गयी है कि प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रति पक्ष अजय सिंह भी आ रहे हैं। जिले के सभी कांग्रेसियों के बीच समन्वय बनाते हुये कार्यक्रम को सफल बनाने के प्रयास किये जा रहें है। जिले के बदले हुय राजनैतिक हालात में कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह का यह दौरा कांग्रेसियों में कितनी ऊर्जा का सुचार करता है? इस पर ही कांग्रेस की भावी राजनीति निर्भर करेगी। मिशन 2013 को लेकर जिले में सपा,बसपा और गौगपा की रानजैतिक गतिविधयां भी जोर पकड़ रहीं है। हालांकि इन पार्टियों का जिले में ऐसा वर्चस्व नही है कि वे कोई भी सीट जीत सकें लेकिन चुनावी गणित बिगाड़ने में इनकी अहम भूमिका हो सकती है। राजनैतिक रूप से देखा जाये भाजपा के लिये मिशन 2013 की जंग कोई कठिन नहीं है। चार में से तीन विधायक भाजपा के है और दो नेताओं के पास लाल बत्ती है। नपा अध्यक्ष भी भाजपा का है। लेकिन टिकिट को लेकर भाजपा में मची भारी घमासान ही उसके लिये घातक साबित हो सकती हैं।
कमलनाथ,भूरिया और अजय सिंह का दौरा निर्णायक होगा- इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में काफी हल चल मची हुयी हैं। जिले के इंका विधायक एवं विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह के निधन के बाद यह पहला मौका है कि कांग्रेस में एक राजनैतिक उत्सुकता पैदा हुयी हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ का 13 जून को आगमन को हो रहा हैं। उनके इस कार्यक्रम के साथ ही प्रदेश कांग्रेस  से यह भी जानकारी दी गयी है कि प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रति पक्ष अजय सिंह भी आ रहे हैं। इसलिये यह कार्यकर्त्ता सम्मेलन के साथ ही परिवर्तन यात्रा के रूप में भी मानी जा रही हैं। पड़ोसी सांसद कमलनाथ ने अपने विश्वस्त अबरार अहमद और पं. राममूर्ति मिश्रा को पर्यवेक्षक बना कर भेजा हैं। छिंदवाड़ा जिला इंका के उपाध्यक्ष रिजवी भी यहां दौरे कर रहें हैं। जिले के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में कमलनाथ के विश्वस्त ये नेता स्वयं मीटिंग लेकर तैयारियों का जायजा ले रहें हैं और सभी उन नेताओं से मिल रहें हैं जो पिछले दस पंद्रह सालों से उपेक्षा के चलते घर बैठ गये थे। हालांकि मीडिया में सिवनी लोस क्षेत्र के विलापन,फोर लेन,बड़ी रेल लाइन और संभाग को लेकर नाथ की भूमिका पर सवालिया निशान लगाने वाले समाचार भी प्रकाशित हुये हैं। अब देखना यह है कि इन मुद्दों पर कमलनाथ क्या कार्यवाही करते हैं?
यह अभी भविष्य की गर्त में हैं। इंकाइयों में व्याप्त चर्चा के अनुसार मिशन 2013 और 2014 के लिये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जो प्रभार तय किये गये हैं उनमें महाकौशल का प्रभार केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को दिया गया हैं। प्रदेश कांग्रेस ने नव गठित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के बीच विधानसभा वार जो प्रभार सौंपा है उसमे महाकौशल क्षेत्र की विधानसभाओं का प्रभार नाथ समर्थकों को ही दिया गया है। इसी के तहत प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष मो. अबरार अहमद को सिवनी जिले के चारों विस क्षेत्रों का प्रभारी बनाया गया है। इसे दृष्टिगत रखते हुये जिले के सभी कांग्रेसियों के बीच समन्वय बनाते हुये कार्यक्रम को सफल बनाने के प्रयास किये जा रहें है। जिले के बदले हुये राजनैतिक हालात में कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह का यह दौरा कांग्रेसियों में कितनी ऊर्जा का सुचार करता है? इस पर ही कांग्रेस की भावी राजनीति निर्भर करेगी।  
सपा,बसपा और गौगपा की गतिविधियंा बढ़ीं- मिशन 2013 को लेकर जिले में सपा,बसपा और गौगपा की रानजैतिक गतिविधयां भी जोर पकड़ रहीं है। हालांकि इन पार्टियों का जिले में ऐसा वर्चस्व नही है कि वे कोई भी सीट जीत सकें लेकिन चुनावी गणित बिगाड़ने में इनकी अहम भूमिका हो सकती है। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि सपा और बसपा मुस्लिम मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने के प्रयास में है तो वहीं  गौगपा भी आदिवसियों के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित  करने का प्रयास कर रही हैं। वैसे एक बात यह भी सच है कि बहुसंख्यक मुस्लिम और आदिवासी नेता यह नहीं चाहते हैं कि भाजपा चुनाव जीते। लेकिेन चुनाव के दौरान इनके ऐसे रहनुमा पैदा हो जाते है जो कि उनमें से कुछ नेताओं को चुनावी जादूगर यह सब्जबाग दिखा देते हैं कि जीत के समीकरण शत प्रतिशत तुम्हारे ही पक्ष में हैं। इस बहकावे में मुस्लिम और आदिवासी वर्ग के नेता इन पार्टियों से या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में  के रूप में चुनाव लड़ जाते हैं। लेकिन ये उम्मीदवार चुनाव तो नहीं जीतते लेकिन इतने वोट जरूर ले लेते है कि जिससे भाजपा की जीत हो जाती है जो कि इन वर्गों का बहुसंख्यक मतदाता नहीं चाहता है। एक तरह से यह भाजपा की जीत की अघोषित रणनीति बन चुकी है और चुनावी जंग में इसमें रसद भी झोंकी जाती हैं। कांग्रेस के असंतुष्ट इस आग में घी झोंकने के काम से कोई परहेज नहीं करते रहें हैं। इसीलिये कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला यह जिला आज भाजपा का मजबूत किला बन चुका हैं। 
जिला भाजपा में मची है टिकिट की घमासानं- भाजपा में भी मिशन 2013 को लेकर तैयारियां प्रारंभ हो चुकी हैं। जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में से तीन विस क्षेत्रों में भाजपा का कब्जा हैं। जिले के दोनों आदिवासी क्षेत्रों से भाजपा के विधायक के रूप में शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले चुने गये हैं। सिवनी विस सीट से भाजपा की ही नीता पटेरिया विधायक हैं। भाजपा के दो पूर्व विधायकों डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन और नरेश दिवचाकर को शिवराज सरकार ने लाल बत्ती दे रखी हैं। सिवनी नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में भाजपा के ही राजेश त्रिवेदी बैठे हैं। इस लिहाज से देखा जाये भाजपा के लिये मिशन 2013 की जंग कोई कठिन नहीं है। लेकिन भाजपा में मची भारी घमासान ही उसके लिये घातक साबित हो सकती हैं। जहां तक दोनों आदिवासी विधायकों शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले की बात है तो कमल के लिये भी टिकिट में अशोक टेकाम आड़े आ सकते हैं। वरना दोनो की टिकिट पक्की समझी जा रही हैं। लेकिन सिवनी को लेकर घमासान मची हुयी हैं। सिवनी के पूर्व विधायक ,मविप्रा एवं जिला भाजपा के अध्यक्ष नरेश दिवाकर खुद सिवनी से टिकिट के प्रबल दावेदार हैं। नरेश समर्थकों के गणित के अनुसार नीता पटेरिया को केवलारी से लड़ाने का सुझाव है और रहा सवाल डॉ. बिसेन का तो उन्हें बालाघाट संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारने की बात कही जा रही हैं। लेकिन प्रदेश भाजपा के सूत्रों का कहना है कि केवलारी से डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन को ही लड़ाया जायेगा। यदि ऐसा होता है तो सिवनी से किसी अन्य नेता को टिकिट तभी मिल सकती है जब कि नीता पटेरिया की टिकिट कटे। इस स्थिति में नरेश के अलावा नपा अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी भी टिकिट के दावेदार बन सकते है। राजेश समर्थकों का तर्क है कि नीता की टिकिट काट कर यदि भाजपा ब्राम्हण को टिकिट नहीं देगी तो जिले भर के ब्राम्हण मतदाता नाराज हो जायेंगें जो कि भाजपा के लिये नुकसान दायक होगा। इन हालातों में यदि ज्यादा घमासान मचा तो भाजपा वर्तमान विधायक नीता पटेरिया को ही मैदान में फिर से उतार सकती है। इन परिस्थितियों में भाजपा के चारो प्रत्याशी ही एक बार फिर अपनी किस्मत आजमायेंगें। “मुसाफिर”
 दर्पण झूठ ना बोले
11 जून 2013 से साभार

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