भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
10.6.13
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा । अर्थात तृष्णा जीर्ण नहीं होती हम ही जीर्ण हो जाते हैं । ईश्वर आडवाणी जी को उनकी तृष्णा की तरह ही जवान रखे ।
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