5.7.13

स्मिता भादुड़ी फर्जी एनकाउंटर में आजाद हैं पुलिसकर्मी।

-12 साल से इंसाफ का इंतजार
स्मिता भादुड़ी एनकाउंटर केस जब मैंने वर्ष 2000 में लिखा, तो सोचा नहीं था कि उसके परिजन इंसाफ के इंतजार में बूढ़े हो जायेंगे। स्मिता का मामला जांच के बाद अब सीबीआई कोर्ट में चल रहा है।  दरअसल बीकॉम कर रही छात्रा स्मिता भादुड़ी को मेरठ पुलिस के दौराला थाने के कथित होनहार तीन पुलिसकर्मियों ने उस वक्त गोली मार दी थी जब वह अपने दोस्त मोहित त्यागी के साथ जा रही थी। इंस्पेक्टर अरूण कौशिक ने कंट्रोल रूम को सूचना भी दी कि उनके व मारूति जैन कार में सवार बदमाशों के बीच गोलीबारी हो रही है इसलिए अतिरिक्त फोर्स भेजा जाये। फोर्स मौके पर गया तो हकीकत पता चली कि कार सीट पर बैठी स्मिता के सीने को पुलिस की गोली ने भेद दिया था। पुलिस ने 11 राउंड फायर किये थे। तीनों पुलिसवाले मुकदमा दर्ज होने पर थाने से फरार हो गए थे। हालांकि बाद में वह जेल गए। उन दिनों काफी हंगामें के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की गंभीरता के बाद जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। 13 साल होने को हैं, परमोशन व मेडल की चाह में मासूम छात्रा के खून से हाथ रंगने व फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने वाले पुलिसकर्मी आजाद हैं। स्मिता के परिवार के दर्द की भरपाई शायद ही कभी हो सके। 

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