22.11.13

AAJ UTHAA HUNKAAR WATAN

वंदे , वंदे, वंदे, वंदे ,
माते ! रहा पुकार वतन ;
केवल नहीं बिहार समूचा ,
आज उठा हुंकार वतन।

मंहगाई की मार भयंकर
झेल-झेल बेहाल हुआ ;
भ्रष्टाचारी आंसू रोनेवाला
बस घड़ियाल हुआ। 
ऐसे चोरों को है दिल से
आज दिया दुत्कार वतन ;
अगर यही सच है तो समझो
आज उठा हुंकार वतन।

गद्दारों ने हाय हमें
शदियों से मगर हराया है ;
अपनों ही का खंजर
अपना वतन पीठ पर खाया है।
गद्दारों में कैसे आयेगा
एक सत्य विचार वतन ?
फिर भी क्यों ऐसा लगता है
आज उठा हुंकार वतन ?

शायद यह मेरी चाहत है ,
मेरे दिल की उल्फत है ;
देशवासियों के अंदर
कुछ गयी जाग-सी गैरत है।
बब्बर के इन गीतों का भी
लेलो तुम उपहार वतन।

वंदे, वंदे, वंदे, वंदे,
माते! रहा पुकार वतन।
केवल नहीं बिहार समूचा
आज उठा हुंकार वतन।

                   ------ डॉक्टर ओम प्रकाश पाण्डेय  उर्फ़ बब्बर बदनाम

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