मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाके
नफरत कि ज्वाला बुझाके
हर दिल में प्यार जलाये
सत्य प्रेम का दीप जलाये
आओ ज्योति पर्व मनाये।
अंधकार पर प्रकाश कि
अज्ञान पर ज्ञान कि
असत्य पर सत्य कि
जीत को फिर दुहराये
आओ ज्योति पर्व मनाये।
भूखा -प्यासा हो अगर
वेवश लाचार ललचाई नजर
उम्मीद जगे तुमसे इस कदर
कुछ पल ही सही ,सबका दर्द बटाएं
आओ ज्योति पर्व मनाये।
अन्याय से ये समाज
प्रदुषण-दोहन से धरा आज
असह्य वेदना से रही कराह
इस दर्द कि हम दवा बन जाए।
आओ ज्योति पर्व मनाये।
भय आतंक -वितृष्णा मिटाके
बुझी नजरो में आस जगके
जात धर्म का भेद मिटाके
शांति अमन का फूल खिलाये
आओ ज्योति पर्व मनाये।
चहु और प्रेम कि जोत जलाये
सब मिल ख़ुशी के गीत गाये
इंसानियत कि जीत का जश्न मनाये
आओ ज्योति पर्व मनाये।
अति सुन्दर।
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