25.12.13

मानें सब भगवान



     
ईसा ने दिया था प्रेम का पावन यह संदेश।
प्रेम जगत का सार, मानव का धर्म विशेष।।
वह चला गया हम भूल गये उसकी वाणी।
इसीलिए हैं पीड़ित दुनिया के सारे प्राणी।।
मानव सेवा सच्ची सेवा और प्रेम है धर्म।
विश्व सुखी होगा जब समझेगा यह मर्म।।
मानव रूप धर आया, मानें सब भगवान।
दुखियों का बना मसीहा,था ऐसा इनसान।।
दुख झेले पर जिसने दिया प्रेम का साथ।
दीनों की सेवा में जिसने सदा बढ़ाये हाथ।।
                 -राजेश त्रिपाठी

No comments:

Post a Comment