11.1.14

दिल्ली में जनता दरबार लगा । और समाप्त हो गया है । क्या आप ऐसा ही पी एम भी देखना चाहते हैं ? क्या आप चाहते हैं कि देश में ऐसा ही अफरा तफरी का माहौल हो । केजरीवाल साहब को इतनी जल्दी सब कुछ करने और हथिया लेने की  पड़ी है कि वे सोच रहे हैं कि सब को सबकुछ दे दें । लेकिन यह सम्भव नहीं है । उन्होंने वायदे तो कर दिए लेकिन वे वायदों को जल्दी पूरा करने की जल्दी दिखा रहे हैं । सीधे सीधे उन्हें तमाम कामों को बिना किसी भावना के वशीभूत हुए करना चाहिए । अब वे भूल जाएँ कि उन्होंने क्या वादे किये वे सिर्फ काम करें । वे जो काम करेंगे जनता के लिए ही करेंगे । धीरे धीरे करें । केजरीवाल साहब ! यदि आपने दो चार काम भी आसानी से कर दिए और तब भले ही आपकी सरकार गिर जाये लेकिन तब जनता समझ जायेगी कि आप  को समय कम मिला । समय ज्यादा मिलता तो आप कुछ और भी अच्छा करते । लेकिन करें तो क्या करें । आप को तो लोकसभा भी जीतना है अपनी टीम के सदस्यों को आपने लोकसभा जीतने के लिए भी लगा रखा है । उन सबको वापस बुलाइए । और सबकी मदद से इस काम को करें । भूल जाएँ लोकसभा को । अगर आपने दिल्ली को संवार दिया तो अन्य राज्यों में आपको कोई नहीं हरा पायेगा । जगह अपने आप बनती जायेगी । अभी आप को अंदाजा भी नहीं होगा कि आपकी पार्टी में कितने लुच्चे लफंगे सदस्यता ले रहे हैं । ये सब आपकी पार्टी को ही बदनाम कर रहे हैं । आप सब कुछ खुद ही कर लेना चाहते हैं लेकिन यह उचित भी नहीं है । एक सिस्टम होता है । आप उस पर चलें । यह जो सोच है कि मोदी को रोको जिसके लिए आपने लोकसभा चुनाव लड़ना तय किया है इससे आप की  छवि गिर रही है आप लोग कब तक माफ़ी मांगते रहेंगे। आपकी माफ़ी से लोंगों ने कहना शुरू कर दिया है कि एक माफ़ी मंत्रालय आपको सबसे पहले खोलना चाहिए । लेकिन करें तो क्या करें । आप तो ऐसे हो गए हैं जैसे एक स्कूल का प्रिंसिपल घंटी भी खुद बजाये , क्लर्क का काम भी खुद करे । पानी भी खुद पिलाये । प्रिंसिपलशिप भी करे । अरे भैया ! माना कि समाज को आपने चोरों से मुक्त करने का ठेका लिया है पर स्वयं को तो संभालिये । एक चोर से तो आपने हाथ मिला लिया है और अब घबराये जा रहे हैं । भूल जाइये सब कुछ । सारे वादे । यह सस्ता तरीका । धीरे धीरे काम करिये । ठोस काम करिये । ताकि लोग आपको सस्ते काम के लिए नहीं बल्कि ठोस कार्यों के लिए याद करें । समझे ।
डॉ द्विजेन्द्र , हरिपुर कलां , मोतीचूर , देहरादून

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